Last Updated: Monday, October 17, 2011, 11:27
बेंगलूर : टीम अन्ना के सदस्य संतोष हेगड़े ने लोकपाल विधेयक की तरह चुनाव सुधारों पर भी व्यापक चर्चा की मांग की है। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि वापस बुलाने का अधिकार और खारिज करने का अधिकार जैसे कदम भारत में क्यों कारगर नहीं हो सकते।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश से जब मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी की टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि लोकपाल विधेयक की ही तरह पूरे देश में चुनाव सुधारों पर चर्चा होनी चाहिए। हमें इस बात पर चर्चा करनी होगी कि क्यों हमारे देश में यह व्यावहारिक नहीं होगा। गौरतलब है कि कुरैशी ने कहा था कि वापस बुलाने का अधिकार और खारिज करने का अधिकार जैसे कदम भारत में अव्यावहारिक होंगे।
एक समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार में कुरैशी ने कहा था कि वह वापस बुलाने के अधिकार और खारिज करने के अधिकार जैसे किसी भी चुनावी नियम के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि यह देश को अस्थिर करेगा। सीईसी ने कहा था, यह भारत में संभव नहीं है। यह देश को अस्थिर करेगा। जहां कहीं भी लोग असंतुष्ट होंगे वे वापस बुलाने लगेंगे।
हेगड़े ने कहा, अगर यह प्रावधान एक देश के लिए उपयुक्त है तो हमें पता लगाना है कि क्या कोई तरीका है जिससे आप इसमें सुधार कर सकते हैं ताकि इसे अपने देश के अनुरूप ढाला जा सके। कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त ने कहा, जहां हर व्यक्ति चुनाव सुधारों का समर्थन कर रहा है तो इस बात पर चर्चा की जानी चाहिए कि इसे कैसे किया जा सकता है। क्या यह वापस बुलाने का अधिकार होना चाहिए या खारिज करने का अधिकार या चुनाव में वित्तपोषण का काम राज्य को अपने जिम्मे ले लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हजारे पक्ष को कुरैशी के उन सुझावों पर चर्चा करने में कोई समस्या नहीं है जिसमें चुनाव आयोग में नियुक्तियां सरकार द्वारा किए जाने की बजाय इसके लिए समाज के विभिन्न तबकों या राजनैतिक दलों को लेकर बनाए गए चयन मंडल द्वारा किए जाने का समर्थन किया है ताकि संस्था के बारे में लोगों की धारणा में सुधार किया जा सके।हेगड़े ने कहा कि वह इसमें एक और मुद्दे को जोड़ना चाहेंगे। वह चाहते हैं कि संसदीय और विधानसभा सचिवालय सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों के वाषिर्क प्रदर्शन का लेखा-जोखा प्रकाशित करें।
उन्होंने एक पत्रिका में प्रकाशित उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें लोकसभा में 540 से अधिक सांसदों में से सिर्फ 174 सांसदों ने साल 2004-09 के दौरान सदन में चर्चा में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा, अगर वे वहां हिस्सा नहीं ले रहे हैं तो वे क्या कर रहे हैं। क्या वे तबादले, अनुबंधों या अन्य बातों के लिए प्रभावित कर रहे हैं या क्या वे हमारे प्रतिनिधि के तौर पर वे उस विधि सम्मत काम को कर रहे हैं जो उन्हें सौंपा गया है। उन्होंने कहा, हमें कुछ जिम्मेदार प्रतिनिधि चाहिए। इसलिए हमें चुनाव सुधार लाना है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, October 17, 2011, 16:57