Last Updated: Wednesday, September 26, 2012, 15:35
नई दिल्ली: भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने बुधवार को एक आदेश जारी कर चुनाव अभियानों में राजनीतिक दलों द्वारा जानवरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
एक पशु अधिकार संगठन ने कहा है कि यहां जारी एक परामर्श में राजनीतिक दलों से कहा गया है कि चुनाव प्रचार में किसी भी जानवर का किसी भी रूप में इस्तेमाल न किया जाए।
पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पीटा) ने कहा है कि पशु संरक्षण के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं के बार-बार के अनुरोध के बाद निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से अपने अभियानों में जानवरों के उपयोग से बाज आने के लिए कहा है।
निर्वाचन आयोग के परामर्श में कहा गया है, आयोग को कई व्यक्तियों और संगठनों से अनुरोध प्राप्त हुए हैं, जिनमें आरोप लगाया गया है कि घोड़े, टट्टू, गधे, हाथी, ऊंट और बैल चुनाव अभियानों के दौरान कई मायनों में क्रूरता के शिकार होते हैं।
परामर्श में कहा गया है, यह आरोप लगाया गया है कि पशुओं को अक्सर निर्धारित सीमा से अधिक भार ढोना पड़ता है, ज्यादा समय तक काम करना पड़ता है, और कुछ उम्मीदवार यहां तक की उनके ऊपर हानिकारक रसायनों के इस्तेमाल से नारे और चुनाव चिन्ह भी लिखते हैं।
निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को परामर्श जारी किया है और उनसे कहा है कि वे पशु क्रूरता निवारक अधिनियम-1960 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 का उल्लंघन न करें।
पीटा-इंडिया ने एक बयान में कहा है, "जानवर अक्सर कुपोषण के शिकार होते हैं और उन्हें पर्याप्त भोजन और पानी नहीं मिलता। जख्म और अन्य तरह के चोट तो उनके लिए सामान्य बात होती है।"
निर्वाचन आयोग के इस कदम का स्वागत करते हुए पीटा-इंडिया के पशु मामलों के निदेशक मणिलाल वलियाटे ने कहा, "यह उन सभी पशुओं की जीत है, जो आसानी से उल्लंघनों का शिकार बनते हैं, क्योंकि वे चुनाव के दौरान नियमित तौर पर सड़कों पर घूमते रहते हैं।" (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 26, 2012, 15:35