Last Updated: Sunday, August 11, 2013, 23:59

लंदन : बुकर पुरस्कार विजेता विवादास्पद लेखक सलमान रश्दी का मानना है कि फतवे जारी होने के बाद उनके छिप कर जीने ने उन्हें अधिक उपन्यास लिखने के लिए प्रेरित किया। 66 वर्षीय भारतीय मूल के ब्रिटिश उपन्यासकार और लेखक रश्दी तत्कालीन धर्म गुरू अयातोल्ला खामेइनी के फतवे के बाद छिपने के लिए मजबूर हो गए थे। गौरतलब है कि रश्दी की पुस्तक ‘द सैटनिक वर्सेज’ के प्रकाशन के बाद उनके खिलाफ 1989 में मौत का फतवा जारी किया गया था।
उन्होंने कल एडिनबर्ग अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में लोगों से कहा, मेरा मानना है कि यदि कोई आपका मुंह बंद करने की कोशिश कर रहा है तो आपको और मुखर हो जाना चाहिए। सैटनिक वर्सेज पुस्तक को कट्टरपंथी मुसलमानों ने ईशनिंदा करने वाला करार दिया था। इसके बाद हुए हमले में रश्दी के अनुवादक की मौत हो गई थी और एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया था।
रश्दी ने कहा, कट्टरपंथी मुसलमान नेताओं ने मेरी किसी पुस्तक को पसंद नहीं किया। इसलिए मैं उनसे इन्हें पसंद नहीं करने की ही उम्मीद करता हूं। और मेरा मानना है कि तो क्या हुआ? उपन्यास पढ़ना कोई जरूरी थोड़े ही है। यदि आप कोई पुस्तक नहीं पढ़ना चाहते हैं तो मत पढ़िए। यदि आप कोई पुस्तक पढ़ना शुरू कर देते हैं और आप इसे पसंद नहीं करते हैं तो आपके पास इसे बंद करने का हमेशा ही विकल्प होता है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, August 11, 2013, 23:59