Last Updated: Tuesday, December 27, 2011, 13:00
नई दिल्ली : नोबल पुरस्कार विजेता गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ मंगलवार को सौ वर्ष का हो गया। इसे सर्वप्रथम 1911 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में आज ही के दिन गाया गया था।
20वीं सदी के सबसे महान कवियों में शामिल टैगोर द्वारा 1911 में संस्कृतनिष्ठ बंगाली में लिखा गया यह राष्ट्रगान स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीयों में देशभक्ति का जोश भरता रहा। संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को इस गीत को देश के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया था।
यह गान सबसे पहले 27 दिसम्बर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था।
रविन्द्रनाथ टैगोर ने जन गण मन को 1911 में बंगाली से अंग्रेजी में अनूदित किया था और इसे आंध्रप्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र के छोटे शहर मदनपल्ले में संगीतबद्ध भी किया था। अंग्रेजी में अनूदित होने के बाद भारतीय छात्र इसे देश की सीमा से बाहर ले गए और इसे ‘मार्निंग सांग ऑफ इंडिया’ बनाया और फिर यह राष्ट्रगान बना।
इंडियन नेशनल आर्मी के नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इसे राष्ट्रगान के रूप में अपनाया जबकि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1946 में कहा, यह गीत हमारे राष्ट्रीय जीवन में अपनी जगह बना चुका है। बंकिम चंद्र चटोपाध्याय के मशहूर बंगाली गीत वंदे मातरम की जगह 1950 में काफी बहस के बाद इस गीत को राष्ट्रगान का दर्जा दिया गया। कुछ समुदायों के विरोध के चलते वंदे मातरम को राष्ट्रगान नहीं बनाया जा सका। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 27, 2011, 18:30