जन प्रतिनिधियों के आचरण पर उपराष्ट्रपति चिंतित

जन प्रतिनिधियों के आचरण पर उपराष्ट्रपति चिंतित

तिरुवनंतपुरम : विधानसभाओं और संसद में जनप्रतिनिधियों के आचरण को लेकर चिंता जाहिर करते हुए उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने बुधवार को कहा कि सदन में शिष्टाचार के नियमों एवं मानकों को कठोर बनाया जाने और उन्हें कड़ाई से लागू किए जाने की जरूरत है।

अंसारी ने यहां केरल विधानसभा की विशेष बैठक में अपने संबोधन में कहा कि विचारविमर्श के निकायों के तौर पर विधायिकाओं की आदर्श छवि इन दिनों जनप्रतिनिधियों के असंसदीय आचरण के चलते बिल्कुल विरोधाभासी सी हो गई है। केरल विधानसभा की यह विशेष बैठक राज्य में विधायी निकायों की शुरूआत के 125 बरस पूरे होने के अवसर पर आयोजित की गई थी।

उप राष्ट्रपति ने कहा कि एक प्रभावी जनप्रतिनिधि होने के लक्षण अब खास तौर पर आसन के समक्ष आने, नारे लगाने और सदन की कार्यवाही बाधित करने की योग्यता के रूप में देखे जाते हैं। अंसारी ने कहा कि ऐसे आचरण को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए और प्रयास किए जाने चाहिए कि अनुशासन बना रहे और सदन की गरिमा कमजोर न होने पाए। उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों की बैठकों में कालांतर में कमी आती गई है।

वर्ष 1952 से 1961 के दौरान लोकसभा की औसत बैठकें 124.2 और राज्यसभा की औसत बैठकें 90.5 थीं। लेकिन वर्ष 2002 से 2011 के दौरान यह औसत घट कर क्रमश: 70.3 और 69.6 हो गया। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, September 11, 2013, 14:59

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