Last Updated: Wednesday, September 25, 2013, 23:43

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मुकदमे के लिए विशेष लोक अभियोजक पद पर भवानी सिंह की नियुक्ति और बर्खास्तगी के विवाद में आज सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय जयललिता की इस याचिका पर फैसला बाद में सुनाएगा।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति एसए बोबडे की खंडपीठ इस मुकदमे की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने के सवाल पर भी निर्णय करेगी। यह न्यायाधीश 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान द्रमुक महासचिव के अनबलगन ने जयललिता के आग्रह का विरोध करते हुए कहा कि 17 साल पुराने इस मुकदमे की इतनी लंबी सुनवाई के लिये अन्नाद्रमुक सुप्रीमो और दूसरे अभियुक्त ही जिम्मेदार हैं।
द्रमुक नेता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि इस मुकदमे की कार्यवाही में विलंब के लिये जिम्मेदार लोग तेजी से सुनवाई पूरी कराने के लिये शीर्ष अदालत नहीं आये हैं। कर्नाटक सरकार की दलीलों से सहमति व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने के बाद उसे इसी पद पर बनाये रखना स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह कानून के खिलाफ होगा।
दूसरी ओर, जयललिता के वकील शेखर नफडे ने कहा कि दूसरा पक्ष मुकदमे की सुनवाई में विलंब करने का प्रयास कर रहा है। कर्नाटक सरकार की ओर से अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती पहले ही विशेष लोक अभियोजक और निचली अदालत के न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने के जयललिता के आग्रह का विरोध कर चुके हैं।
कर्नाटक सरकार ने 26 अगस्त को एक अधिसूचना जारी करके लोक अभियोजक पद पर भवानी सिंह की नियुक्ति वापस ले ली थी। इसके बाद जयललिता ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 25, 2013, 21:17