जल पर मौजूदा वैधानिक ढांचा अपर्याप्त : प्रधानमंत्री

जल पर मौजूदा वैधानिक ढांचा अपर्याप्त : प्रधानमंत्री

जल पर मौजूदा वैधानिक ढांचा अपर्याप्त : प्रधानमंत्रीनई दिल्ली : देश के जल संकट का सामना करने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि जल के संबंध में मौजूदा वैधानिक ढांचा अपर्याप्त है। प्रधानमंत्री ने जल के सार्वत्रिक सिद्धांत पर राष्ट्रीय वैधानिक ढांचा तैयार करने का आह्वान किया।

राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद की यहां आयोजित छठी बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल का आम संपदा संसाधन के रूप में इस तरह से इस्तेमाल करने की जरूरत है जो पेयजल की बुनियादी जरूरतों के साथ ही गरीब किसानों के जीवनयापन का भी संरक्षण करे। यह बैठक नई राष्ट्रीय जल नीति को मंजूरी देने के लिए बुलाई गई थी।

मनमोहन सिंह ने कहा कि उपलब्ध अत्यंत वस्तुनिष्ठ आंकड़े संकेत देते हैं कि जल या इसका संकट देश के समाजिक और आर्थिक विकास की राह में रोड़ा बन कर उभर सकता है। उन्होंने कहा, `महत्वपूर्ण और अत्यधिक दबाव वाले प्राकृतिक संसाधन जल की कमी का सामना भारत कर रहा है।`

उन्होंने कहा कि बेहतर जल प्रबंधन हासिल करने की राह में सबसे बड़ी समस्या मौजूदा संस्थागत और वैधानिक ढांचे का अपर्याप्त व बंटा हुआ होना है और इसमें सक्रिय संशोधन की दरकार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जल पर सार्वत्रिक सिद्धांत के एक राष्ट्रीय वैधानिक ढांचे के लिए सुझाव दिए गए हैं जिससे हर राज्य में जल प्रशासन पर आवश्यक कानून के लिए मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।

उन्होंने कहा, `मैं प्रस्तावित राष्ट्रीय वैधानिक ढांचे को उचित परिप्रेक्ष्य में देखे जाने की जरूरत पर जोर देना चाहूंगा। यह ढांचा विधायिका, कार्यपालिका या केंद्र, राज्य और स्थानीय स्वशासी निकाय द्वारा हस्तांतरित शक्ति के प्रयोग का एक बयान होगा।` उन्होंने कहा कि केंद्र की राज्यों को हासिल संवैधानिक अधिकारों का हनन करने या जल प्रबंधन के केंद्रीयकरण करने की कोई मंशा नहीं है। (एजेंसी)

First Published: Friday, December 28, 2012, 18:20

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