Last Updated: Friday, December 28, 2012, 14:05
नई दिल्ली : जल संसाधनों के बारे में प्रस्तावित राष्ट्रीय कानूनी रूपरेखा बनाने पर राज्यों की आशंकाओ को दूर करने का प्रयास करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि केंद्र का जल प्रबंधन के मामले में राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण करने का कोई इरादा नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैं प्रस्तावित राष्ट्रीय कानूनी रूपरेखा को सही परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत पर जोर देता हूं। यह रूपरेखा केंद्र, राज्यों और स्थानीय निकायों द्वारा व्यवहार में लाई जाने वाली विधायी, कार्यकारी और हस्तांतरित शक्तियों के सामान्य सिद्धांतों पर ही आधारित होगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसी भी तरह से राज्यों को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का अतिक्रमण या जल प्रबंधन का केंद्रीकरण करने का इरादा नहीं रखती। सिंह राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद की छठीं बैठक को संबोधित कर रहे थे, जिसमें नई राष्ट्रीय जल नीति के अपनाए जाने की संभावना है।
बीते जनवरी माह में सार्वजनिक किए गए इस नीति के मसौदे में जल से जुड़े मसलों पर एक राष्ट्रीय कानूनी रूपरेखा बनाने का प्रस्ताव है। तभी से राज्य सरकारें इस प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं। भूजल स्तर में आने वाली गिरावट के संदर्भ में मनमोहन ने कहा कि इसके ‘अत्यधिक महत्व’ के बावजूद इसे निकालने और विभिन्न प्रयोगों में तालमेल से जुड़ा कोई नियमन नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Friday, December 28, 2012, 14:05