जलियांवाला बाग नरसंहार 'बेहद शर्मनाक' था: डेविड कैमरन -Jallianwala Bagh massacre a deeply shameful act: David Cameron

जलियांवाला बाग नरसंहार 'बेहद शर्मनाक' था: डेविड कैमरन

जलियांवाला बाग नरसंहार 'बेहद शर्मनाक' था: डेविड कैमरनअमृतसर : ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने ब्रिटिश शासन के दौरान अमृतसर के जलियांवाला बाग में वर्ष 1919 में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर निर्मम गोलीबारी को ‘बेहद शर्मनाक’ बताया। जलियांवाला बाग में आगंतुकों के लिए रखी गई किताब में कैमरन ने लिखा, ‘‘ब्रिटिश इतिहास का यह बेहद शर्मनाक कृत्य है। इस कृत्य की बिल्कुल सही व्याख्या करते हुए विंस्टन चर्चिल ने इसे ‘राक्षसी’ करार दिया था। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि यहां क्या हुआ था और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ब्रिटेन दुनिया भर के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों के लिए खड़ा हो।’’ जलियांवाला बाग शहीद परिवार समिति नामक गैर सरकारी संगठन के अध्यक्ष भूषण बहल ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री से माफी मांगने की मांग की थी। भूषण को कैमरन से मिलने नहीं दिया गया।

कैमरन ब्रिटेन में लोकतांत्रिक रूप से चयनित ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने इस स्मारक पर आकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और हाथ जोड़कर उनके सम्मान में एक मिनट का मौन भी रखा।

कैमरन के यहां आने से 16 साल पहले महारानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति फिलीप के साथ 1997 में अमृतसर की यात्रा पर आई थीं। इससे पहले, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने आज यहां स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका जहां उन्हें सरोपा भेंट किया गया। कैमरन ने कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर मत्था टेका। गहरे रंग का सूट और टाई पहने कैमरन ने सिर को नीले कपड़े से ढंक रखा था। उन्हें हरमिंदर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में सरोपा भेंट किया गया।

गुरुवाणी के बीच कैमरन ने कुछे श्रद्धालुओं से संक्षिप्त बातचीत भी की । वर्ष 1997 के बाद ब्रिटेन की किसी बड़ी हस्ती की यह पहली यात्रा है। 1997 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके पति एवं ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप ने पवित्र शहर का दौरा किया था। मंदिर के भीतर कैमरन के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ तथा अन्य लोग थे ।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुबह करीब नौ बजकर 50 मिनट पर स्वर्ण मंदिर पहुंचे और करीब एक घंटा वहां गुजारा। मत्था टेकने से पहले ब्रिटेन के नेता को सिखों की शीर्ष धार्मिक इकाई एसजीपीसी के पदाधिकारियों ने मंदिर में घुमाया और श्री गुरु रामदास लंगर हॉल भी दिखाया। कैमरन ने अरदास के दौरान कुछ देर के लिए हाथ भी जोड़े। इससे पहले श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बादल ने कैमरन की अगवानी की। कड़े सुरक्षा इंतजामों के तहत अन्य बलों के साथ छह जिलों से करीब तीन हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। इनमें इस्राइल प्रशिक्षित विशेष हथियार एवं व्यूहकौशल टीम (स्वाट) भी शामिल है।

स्वर्ण मंदिर और जलियांवाला बाग के पास स्थित इमारतों की छतों और उन स्थानों पर निशानेबाज तैनात किए गए हैं जहां-जहां से कैमरन का काफिला गुजरेगा। पुलिस सूत्रों ने बताया कि शहर में विभिन्न स्थानों पर सादी वर्दी में भी जवान तैनात किए गए हैं। कैमरन की यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियों ने कल ‘मॉक ड्रिल’ की थी।

इस बीच, जलियांवाला बाग शहीद परिवार समिति के अध्यक्ष भूषण बहल ने मांग की है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री को 1919 के नरसंहार के लिए माफी मांगनी चाहिए ‘‘जिससे न सिर्फ राष्ट्रभक्तों और मृतकों के परिवारों की भावनाएं शांत होंगी, बल्कि निर्दोष लोगों पर ब्रिटिश जनरल के बर्बर अत्याचार की निन्दा की भी पुष्टि होगी।’’ (एजेंसी)

First Published: Wednesday, February 20, 2013, 11:45

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