Last Updated: Tuesday, December 18, 2012, 00:06
नई दिल्ली : कोलगेट घोटाले के उजागर से जुड़े एक मामले में ज़ी न्यूज लिमिटेड के संपादकों सुधीर चौधरी (ज़ी न्यूज) एवं समीर अहलूवालिया (ज़ी बिजनेस) को सोमवार को जमानत मिल गई। कोलगेट घोटाले से जुड़े इस मामले में कांग्रेस सांसद एवं उद्योगपति नवीन जिंदल शामिल हैं।
दोनों संपादकों ने कोलगेट पर मीडिया कवरेज को रोकने के जिंदल के प्रयासों का खुलासा किया था। जिंदल ने 100 करोड़ रुपए के विज्ञापन अनुबंध के जरिए कोलगेट पर दिखाई जाने वाली खबरों को रोकने की कोशिश की थी।
सुनवाई के दौरान ज़ी न्यूज के संपादकों के वकील विजय अग्रवाल ने न्यायालय में कहा,‘इस मामले में प्राथमिकी एम/एस जिंदल स्टील एंड पावर के इशारे पर दर्ज की गई है। यह मामला पूरी तरह गलत एवं झूठी शिकायत पर दर्ज किया गया है। उनके अनुसार, ज़ी न्यूज चैनल पर शिकायतकर्ता के खिलाफ एक अपमानजनक सामग्री प्रसारित की गई और शिकायतकर्ता कम्पनी के अधिकारियों ने जब संपादकों से सम्पर्क साधा एवं उनसे मिले तो शिकायकर्ता के खिलाफ खबरें रोकने के बदले विज्ञापन अनुबंध के रूप में पैसे की मांग की गई।’
ज़ी न्यूज लिमिटेड के वकील विजय अग्रवाल द्वारा यह तथ्य रखे जाने के बाद न्यायालय ने आज ज़ी के संपादकों की जमानत मंजूर की।
वकील ने न्यायालय को यह भी बताया कि उनके मुवक्किलों ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अपनी आवाज के नमूने देने की सहमति दी है। साथ ही यह मामला एवं आरोप पूरी तरह से गलत और मनगढ़त हैं।
वकील ने न्यायालय को बताया,‘मामले में दर्ज प्राथमिकी एवं संपादकों की गिरफ्तारी न्यूज चैनल को जनहित से जुड़ी उचित एवं महत्वपूर्ण खबर दिखाने से रोकने के लिए शिकायतकर्ता की ओर से चलाए गए एक दुर्भावनापूर्ण कवायद के सिवाय कुछ और नहीं है।’
वकील ने न्यायालय को बताया,‘उनके मुवक्किलों की तरफ से जिंदल ग्रुप के प्रतिनिधियों से कोई मांग नहीं की गई। न्यायालय छह दिसंबर 2012 को सह-आरोपी पुनीत गोयनका को अंतरिम अग्रिम जमानत दे चुका है और यह मामला शिकायतकर्ता कम्पनी द्वारा कानूनी प्रणाली के गलत इस्तेमाल का जीता-जागता उदाहरण है।’
वकील ने बताया,‘उनके मुवक्किल पूछताछ के लिए हमेशा उपलब्ध हैं और उनकी कानून से बचने की नगण्य संभावना है। मामले में पूछताछ की जब भी उनकी जरूरत पड़ी वे हमेशा उपलब्ध रहे। मुवक्किल जांच एजेंसियों का सहयोग करने एवं कभी भी बुलाए जाने पर पेश होने का वचन देते हैं। उनके द्वारा साक्ष्यों के साथ छेड़खानी एवं गवाहों को प्रभावित करने की तनिक भी संभावना नहीं है। मुवक्किलों का अपराध का कोई इतिहास नहीं रहा है और समाज में उनकी स्वच्छ छवि है।’
वकील ने न्यायालय को बताया,‘मुवक्किलों को हिरासत में लगातार रखे जाने से उनकी प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुंचेगी। साथ ही सामाजिक एवं आर्थिक रूप से भी उनका नुकसान होगा। इसलिए, उन्हें जमानत देने की अर्जी दी जाती है।’
विजय अग्रवाल ने कहा,‘उनके मुवक्किलों को जमानत मिल गई है। जमानत मिलना यह दर्शाता है कि मामले में सीआरपीसी की जो गलत धाराएं लगाई गईं न्यायालय ने उनका परीक्षण किया और इससे हमारे रुख की पुष्टि हुई।’
अग्रवाल ने कहा,‘दिल्ली जिला न्यायालय की माननीय न्यायाधीश श्रीमति राजरानी मित्रा ने 50-50 हजार रुपए के बांड जमा करने पर ज़ी न्यूज के संपादकों को रिहा करने का आदेश दिया। साथ ही उन्होंने संपादकों से जांच में सहयोग करने के लिए कहा।’
अग्रवाल के मुताबिक,‘हमने न्यायालय को बताया कि मेरे मुवक्किलों को सीआरपीसी के सिद्धांतों का उल्लंघन करने पर गिरफ्तार किया गया है। आईपीसी की गलत धाराओं के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया। हमारे पक्ष की पुष्टि होने के बाद न्यायालय ने हमारे मुवक्किल के पक्ष में जमानत का आदेश पारित कर दिया। सत्र न्यायालय ने बांड्स पेश किए जाने पर मुवक्किलों को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया।’
First Published: Tuesday, December 18, 2012, 00:06