Last Updated: Sunday, January 15, 2012, 11:30
पोर्ट ब्लेयर/नई दिल्ली : केंद्र शासित राज्य अंडमान-निकोबार पुलिस ने अर्धनग्न जारवा जनजाति महिलाओं के विवादास्पद वीडियो मामले में राष्ट्रीय तकनीक अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) से मदद मांगी है।
एनटीआरओ साइबर खुफिया मामलों को देखने वाली संस्था है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट आदेश दे रखा है कि जारवा जनजाति के लोगों का विवादास्पद वीडियो बनाने वालों को पकड़ा जाए।
पुलिस ने एनटीआरओ से यह पता लगाने का आग्रह किया है कि किस स्थान से इस विवादास्पद वीडियो को अपलोड किया गया था। यह पता चलने के बाद पुलिस कार्रवाई सही दिशा में आगे बढ़ा सकेगी।
आदिम जनजाति संरक्षण कानून के तहत आदिवासियों की तस्वीरें लेना अथवा वीडियो बनाना प्रतिबंधित है। इस वीडियो में एक ट्रैवेल एजेंट और ब्रिटिश पत्रकार के बीच बातचीत भी है। पुलिस इस ट्रैवेल एजेंट का पता लगाने का प्रयास कर रही है।
अंडमान निकोबार के अधिकारियों का कहना है कि इस घटना के पीछे ऐसे तत्व हो सकते हैं जो दक्षिणी अंडमान के जंगलों तक सड़कों के निर्माण को रोकना चाहते हैं। केंद्र ने पहले अंडमान ट्रंक रोर्ड (एटीआर) को मंजूरी दे रखी है। इस सड़क के बन जाने से अंडमान का उत्तरी हिस्सा दक्षिणी भाग से जुड़ सकेगा।
इस सड़क का कुछ हिस्सा उस स्थान से भी होकर गुजरता है जहां जारवा जनजाति के लोग रहते हैं। इस जनजाति की तादाद 383 बताई गई है।
अंडमान पुलिस ने बीते 12 जनवरी को अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी, सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून और अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा आदिम जनजाति संरक्षण कानून के तहत मामला दर्ज किया था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 15, 2012, 17:40