Last Updated: Sunday, May 20, 2012, 07:23
नई दिल्ली : राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने आगाह किया है कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर मौजूद जारवा जनजाति समुदाय की प्रतिरोधक क्षमता तत्काल बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि यह समुदाय अस्तित्व के संकट की ओर बढ़ रहा है।
आयोग ने कहा कि जारवा समुदाय के इलाके में प्रशासन का दखल बहुत सीमित है, उनके क्षेत्रों में घुसने की लगातार कोशिश की जा रही है ताकि उन पर भोजन और स्वास्थ्यकर दवाओं जैसी बुनियादी जरूरतें पहुंचे और उन्हें मुख्यधारा में शामिल किया जा सके।
आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा, ‘पहले जारवा समुदाय के क्षेत्र में घुसने पर ये लोग तुरंत तीर चला देते थे और किसी को अपने पास नहीं आने देते थे। लेकिन अब अंडमान प्रशासन धीरे-धीरे उनके इलाकों में जा रहा है ताकि उन्हें मूलभूत सुविधाएं दी जाएं और मुख्यधारा से जोड़ा जाए। लेकिन योजनाओं को लागू करना असली चुनौती है।’
उरांव ने कहा कि इन आदिवासियों की त्वचा बहुत संवेदनशील है और बाहरी लोगों के अधिक संपर्क में आने से उन्हें खसरा जैसे रोग हो जाते हैं क्योंकि उनकी रोगों से लडने की प्रतिरोधक क्षमता हमारे मुकाबले बहुत कम है। प्रतिरोधक क्षमता और प्रजनन शक्ति बढाने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, May 20, 2012, 12:53