Last Updated: Sunday, July 14, 2013, 23:35

लखनऊ: बसपा मुखिया मायावती ने कांग्रेस और भाजपा पर मजहबी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय को इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ कडी कार्रवाई करनी चाहिये और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल तथा विश्व हिन्दू परिषद जैसे धर्म आधारित संगठनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिये।
मायावती ने रविवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘लोकसभा चुनाव आते ही भाजपा और कांग्रेस वोट के लिए जुनूनी राजनीति कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं (क्रमश: अमित शाह और मधु सूदन मिस्त्री) ने हिंदू -मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए जिस तरह अयोध्या और फैजाबाद की यात्रा की यह उसका प्रमाण है।’
उन्होंने कहा, ‘ऐसी राजनीति से देश की धर्मनिरपेक्षता पर आघात होता है और सर्वोच्च न्यायालय को इसका स्वत: संज्ञान लेकर ऐसी व्यवस्था करनी चाहिये कि अयोध्या फैजाबाद की आड़ में कोई पार्टी मजहबी राजनीति न कर सके।’
मायावती ने हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जातीय सम्मेलनों पर लगायी गयी रोक की पृष्ठभूमि में धर्म के नाम पर बने संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाये जाने की मांग की और कहा, ‘अदालत से हमारा आग्रह है कि वह विश्व हिंदू परिषद ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बजरंग दल जैसे धार्मिक संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाये जो परदे के पीछे से राजनीति करते हैं और मुख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री तय करने में भूमिका निभाते हैं।’
उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘पिल्ला’ संबंधी बयान की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसा उदाहरण देकर उन्होंने एक वर्ग का अपमान किया है।
मोदी द्वारा स्वयं को हिंदू राष्ट्रवादी बताये जाने पर मायावती ने कहा कि उन्हें भारत के संविधान का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिये जो किसी मजहब पर नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है।
मायावती ने गया के महाबोधि मंदिर पर हुए आतंकी हमले को केन्द्र और राज्य सरकार की लापरवाही करार देते हुए कहा, ‘जान-माल और मजहब की रक्षा करना केन्द्र एवं राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।’
उन्होंने इस हमले को लेकर राजनीति करने वालों की आलोचना की और बताया कि वह सोमवार को वहां जायेंगी। मायावती ने चीन द्वारा भारत की सीमा में पुन:घुसपैठ किये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि भारत सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिये वरना भविष्य में इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
उन्होंने आंध्र प्रदेश को पुनर्गठित करके तेलंगाना राज्य के गठन की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि वह इस मामले में केन्द्र सरकार का साथ देने को तैयार है। मायावती ने इसके साथ ही कहा कि केन्द्र सरकार को उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के बारे में भी विचार करना चाहिये।
उन्होंने कहा कि अपनी सरकार के रहते उन्होंने उत्तर प्रदेश को पूर्वांचल, पश्चिमांचल, बुंदेलखंड और अवध प्रदेश के रूप में विभाजित करने की सिफारिश की थी और इस आशय का एक प्रस्ताव विधानसभा से पारित कराकर भी भेजा था।
न्यायालय द्वारा पुलिस हिरासत और जेल में बंद लोगों के चुनाव लडने पर रोक लगाए जाने संबंधी निर्णय के बारे में बसपा मुखिया ने कहा, ‘हमारी पार्टी पुलिस हिरासत में ले लिए गये व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की पक्षधर नहीं है। इस कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग होने की आशंका है। केन्द्र सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय पर अदालत में अपील करनी चाहिये।’
मायावती ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की मांग दोहराते हुए एनआरएचएम घोटाले में जेल में बंद और पार्टी से निष्कासित उनकी सरकार के पूर्व मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा की पत्नी और भाई को समाजवादी पार्टी में शामिल करने के लिए सत्तारूढ़ दल की आलोचना की और कहा कि सपा को भ्रष्टाचार से दिक्कत नहीं है, उसे केवल अपने स्वार्थ से मतलब है।
कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या और उनके भाई शिवशरण को सपा में शामिल किये जाने के एक दिन बाद, मायावती ने कहा,‘हमारी पार्टी की सरकार ने भ्रष्टाचार में लिप्त मंत्रियों तक को नहीं बख्शा और सरकार तथा पार्टी से निकाल दिया। अब इसी किस्म के भ्रष्ट लोगों को भाजपा और सपा अपनी पार्टी में शामिल कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि कुशवाहा के परिजनों को पार्टी में लेकर सपा ने यह साबित कर दिया है कि उसे इस व्यक्ति के भ्रष्टाचार से नहीं बल्कि सपा नेतृत्व को अपने स्वार्थ से मतलब है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने गत विधानसभा चुनाव के बीच बाबूसिंह कुशवाहा को पार्टी में शामिल कर लिया था, हालांकि उसने पार्टी में उठे विरोध के बाद कुशवाहा की सदस्यता स्थगित कर दी गयी थी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 14, 2013, 18:51