Last Updated: Monday, November 5, 2012, 22:56

नई दिल्ली/मुंबई : वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया है कि पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी पर वित्तीय अनियमितता के आरोपों से इसकी (पार्टी की) छवि पर असर पड़ रहा है। गडकरी पर अपने पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है।
महेश ने गडकरी को भेजे महज एक वाक्य के पत्र में लिखा है, जब तक आप अध्यक्ष हैं तबतक मैं पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपनी सेवा देना नैतिक और बौद्धिक रूप से उपयुक्त नहीं मानता। गौरतलब है कि महेश के पिता एवं भाजपा के राज्य सभा सदस्य राम जेठमलानी ने करीब पखवाड़े भर पहले गडकरी से पद छोड़ने को कहा था और उनके खिलाफ लगे आरोपों के मद्देनजर उन्हें दूसरा कार्यकाल नहीं लेने को भी कहा था।
गडकरी अपनी कंपनी ‘पूर्ति सुगर एंड पावर’ के कोष के संदिग्ध लेन-देन संबंधी खबरें मीडिया में आने के बाद से आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि गडकरी ने खुद ही इन आरोपों पर किसी तरह की जांच का सामना करने की पेशकश है। लेकिन दबी जुबान से यह कहा जा रहा है कि उन्हें पिछले हफ्ते हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार दौरा रद्द करने के लिए मजबूर किया गया। महेश ने दिल्ली में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि गडकरी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
महेश ने कहा, चूंकि मेरी अंतरात्मा इसमें बने रहने की इजाजत नहीं देती इसलिए मैंने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा देने का फैसला किया है। हालांकि, मैं पार्टी की सेवा करता रहुंगा। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने गडकरी से उनकी कंपनी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है, महेश ने कहा ‘नहीं’। मैंने अपना व्यक्तिगत विश्लेषण किया है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या गडकरी के खिलाफ लगाए गए आरोप से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है, उन्होंने कहा, ‘‘हां । मुझे लगता है कि यह पार्टी को प्रभावित कर रहा है और हम इसमें :फैसला लेने में : देर कर रहे हैं। मैं पार्टी के नेतृत्व से कहना चाहूंगा कि इस मुद्दे का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।’’ इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने महेश द्वारा पत्र में लिखी बात सार्वजनिक किये जाने पर नाखुशी जाहिर की और यह स्वीकार किया कि इससे पार्टी को बहुत नुकसान होगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या महेश ने गडकरी पर पद छोड़ने का दबाव बनाने के लिए यह कदम उठाया है, रूडी ने जवाब दिया, किसी तरह के दबाव का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि गडकरी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर पार्टी के अंदर पहले ही चर्चा हो चुकी है।
मीडिया की जांच में दावा किया गया है कि वित्तीय हेरफेर के लिए कई निष्क्रिय व्यापारिक प्रतिष्ठान कागज पर बताए गए ताकि ‘पूर्ति’ के लिए वित्त मुहैया किया जा सके। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास दर्ज इन कंपनियों के कई निदेशकों के पते कथित तौर पर फर्जी पाए गए हैं।
बहरहाल, आयकर विभाग और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, दोनों ने ही जांच शुरू कर दी है। इससे पहले राम जेठमलानी ने करीब पखवाड़े भर पहले गडकरी पर हमला बोलते हुए कहा था कि उन्हें पार्टी और स्वहित में इस्तीफा दे देना चाहिए।
राम जेठमलानी ने कहा था, पार्टी और अपने हित में उन्हें इस :अध्यक्ष पद: दौड़ से हट जाना चाहिए और यह पद किसी ऐसे व्यक्ति को दे देना चाहिए जो कहीं अधिक भरोसे वाला हो। उन्हें दूसरे कार्यकाल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। जेठमलानी ने इस बात का जिक्र किया था गडकरी के इस पद पर बने रहे से पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है।
उन्होंने कहा था, बेशक, उनकी ईमानदारी के बारे में संदेह है और पार्टी एवं अपने हित में उन्हें अवश्य ही इस पद से हट जाना चाहिए। उन्होंने कहा था, इससे पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है। आगामी चुनाव में हम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं और हमारे पास ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो पूरी तरह से ईमानदार हो।
कांग्रेस ने वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी द्वारा भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दिये जाने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया जताने से इंकार कर दिया। पार्टी प्रवक्ता रेणुका चटर्जी ने महेश जेठमलानी के इस्तीफे को लेकर उठे ताजा विवाद पर यह कहते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इंकार किया कि यह भाजपा का अंदरूनी मामला है। (एजेंसी)
First Published: Monday, November 5, 2012, 15:19