जेवलिन मिसाइल भारत को अभी नहीं देगा अमेरिका

जेवलिन मिसाइल भारत को अभी नहीं देगा अमेरिका

नई दिल्ली : अमेरिका से टैंक रोधी निर्देशित जेवेलिन मिसाइल हासिल करने का प्रस्ताव प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और इसके मैदानी परीक्षण में भागीदारी को लेकर अमेरिकी सरकार की अनिच्छा के चलते खटाई में पड़ गया है।

भारत अपनी पैदल सेना की 350 से अधिक दुकड़ियों के आधुनिकीकरण के लिए तीसरी पीढ़ी की टैंक रोधी निर्देशित मिसाइलें लेना चाह रहा है। इन मिसाइलों से पैदल सेना को दुश्मन की बख्तरबंद रेजीमेंटों को नष्ट करने की क्षमता हासिल हो जाएगी।

सूत्रों ने बताया कि भारत इन मिसाइलों की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की मांग कर रहा है जिस पर अमेरिका सहमत नहीं है। साथ ही वाशिंगटन इन मिसाइलों को मैदानी परीक्षणों के लिए उपलब्ध भी नहीं कराना चाहता ताकि भारतीय विशेषज्ञ इनका आकलन कर सकें। उन्होंने बताया कि जब तक ये मुद्दे सुलझा नहीं लिए जाते तब तक भारतीय पक्ष के लिए इस सौदे पर आगे बढ़ना मुश्किल है।

अमेरिकी मिसाइल निर्माता रेथेओन का कहना है, जेवेलिन जेवी इन मिसाइलों के आकलन और इनकी खरीद के बारे में भारत सरकार के सभी अनुरोधों का जवाब देने को तैयार है। वह यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि अमेरिका तथा भारत सरकार के समझौते का पालन हो।

जेवेलिन मिसाइल का निर्माण रेथेयोन की जेवी तथा लाकहीड मार्टिन करते हैं लेकिन अमेरिका सरकार विदेशी सेना को बिक्री के जरिये इन्हें वैश्विक ग्राहकों को बेचती है। कंपनी का कहना है कि यह मिसाइल भारतीय सेना के प्रस्ताव का सर्वश्रेष्ठ समाधान है और वह इंतजार कर रही है क्योंकि दोनों सरकारों के बीच बातचीत चल रही है।

भारत की योजना अपनी पैदल सेना की यूनिटों की जरूरत के लिए जेवेलिन के साथ साथ इस्राइली स्पाइक मिसाल का आकलन करने की भी है। इस बारे में दो साल से बातचीत चल रही है क्योंकि अगस्त 2011 में रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कहा था कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित इन मिसाइलों की खरीद के लिए अमेरिका को एक अनुरोध पत्र भेजा गया है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, September 23, 2012, 15:32

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