Last Updated: Saturday, October 1, 2011, 07:23
जोधपुर. भारत के अत्याधुनिक सुपरसोनिक लड़ाकू विमान सुखोई-30 को पश्चिमी सीमा के जोधपुर एयरबेस पर तैनात किया जा रहा है. इस स्क्वाड्रन की तैनाती हवाई सुरक्षा घेरा मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है.
शनिवार 1 अक्टूबर से पुणे के लोहेगांव से इस स्क्वाड्रन को यहां शिफ्ट किया जाएगा. इस लड़ाकू विमान में मिसाइल रखने की भी क्षमता है. इसे यहां लाने की प्रक्रिया एक महीने से चल रही थी. इस लड़ाकू विमान की खासियत इसी से समझी जा सकती है कि सुखोई एक घंटे में 2450 किमी तक पहुंच जाता है. जिससे यह सुखोई-30 जोधपुर एयरबेस से पांच मिनट में लाहौर पहुंच सकता है.
देश की पश्चिमी सीमा की सुरक्षा के लिए यह काफी महत्वपूर्ण होगा. एक बार उड़ान भरने के साथ यह आठ हजार किलो तक के हथियार लेकर 5,200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है.
सुखोई-30 एमकेआई का लाइसेंस उत्पादन भारत में रूसी सुखोई कंपनी के साथ हुए के करार के आधार पर किया जा रहा है. अगले कुछ सालों में केंद्र सरकार भारतीय वायु सेना को और अधिक सुखोई-30 एमकेआई और हल्के लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने के लिए 64 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च करेगी. इन विमानों का उत्पादन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड करेगा.
इतनी रफ्तार से उड़ान भरने वाले मल्टी रोल फाइटर सुखोई-30 के पायलट जल्द जोधपुर से नियमित अभ्यास शुरू करेंगे. वे अभ्यास के लिए जोधपुर से जैसलमेर में चांधन फायरिंग रेज के अलावा बीकानेर व बाड़मेर में उतरलाई तक उड़ान भरेंगे.
वायुसेना के अनुसार पाकिस्तान से सटे राजस्थान, पंजाब, गुजरात व जम्मू-कश्मीर तक की सीमा पर हवाई सुरक्षा मजबूत हो जाएगी. वायुसेना ने सीमा पार की गतिविधियों को देखते हुए जैसलमेर व बीकानेर की हवाई सुरक्षा के लिए फलौदी एयरबेस बनाया था, ताकि ऑपरेशनल गतिविधियों के लिए उतरलाई, जैसलमेर व बीकानेर के साथ सीमा पर तत्काल लड़ाकू विमान पहुंच सकें.
सुखोई-30 में ब्रह्मोस मिसाइल में रखने की क्षमता है. जरूरत पडऩे पर सुखोई बमबारी के साथ मिसाइल से अचूक निशाना भी दाग सकता है. वर्ष 1997 में जोधपुर से वायुसेना के दक्षिण पश्चिम वायु कमान का मुख्यालय गांधी नगर चला गया था.
(एजेंसी)
First Published: Saturday, October 1, 2011, 12:53