टीम अन्ना को मंजूर नहीं लोकपाल मसौदा रिपोर्ट - Zee News हिंदी

टीम अन्ना को मंजूर नहीं लोकपाल मसौदा रिपोर्ट

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी

नई दिल्ली : टीम अन्ना ने संसद की स्थायी समिति की मसौदा रिपोर्ट में सीबीआई की जांच शाखा और निचले स्तर पर नौकरशाही को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने पर निराशा जताई और निजी एनजीओ एवं मीडिया को इसके दायरे में लाने का विरोध किया।

 

समिति की मसौदा रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने सरकार को संसदीय प्रस्ताव की याद दिलाई जिसकी वजह से अन्ना हजारे ने 28 अगस्त को अपना अनशन तोड़ा था। उन्होंने आशा जताई कि इसका सम्मान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समूह ग और घ के कर्मचारी भ्रष्टाचार के कई ऐसे मामलों के लिए जिम्मेदार हैं जिससे आम आदमी प्रभावित होता है और उन्हें भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी से बाहर करने से यह निरर्थक हो जाएगी।

 

इस मुद्दे पर किरण बेदी ने कहा, ‘यह अपने वादे से पीछे हटना है और हम एक बार फिर से व्यापक आंदोलन शुरू करेंगे।’ केजरीवाल ने गैर सरकारी संगठनों को लोकपाल के दायरे में शामिल किए जाने पर शंका जताई और कहा कि यह मामले को ‘ज्यादा भ्रमित करेगा’।

 

केजरीवाल ने कहा, ‘हम इस बात से पूरी तरह से सहमत हैं कि गैर सरकारी संगठनों और साथ ही साथ मीडिया में बहुत भ्रष्टाचार है लेकिन लोकपाल, जिस पर वर्ष 1968 से विचार किया जा रहा है, वह एक ऐसी एजेंसी है जो भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत परिभाषित भ्रष्टाचार के मामलों को देखेगी।’ उन्होंने कहा, ‘एनजीओ से निपटने के लिए एक रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी एंड ट्रस्ट कानून है। हमें इसे मजबूत करने की जरूरत है लेकिन हम सरकार द्वारा वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों को इसके दायरे में लाए जाने की मांग करते हैं क्योंकि वे भ्रष्टाचार निरोधक कानून के दायरे में आते हैं। मीडिया के लिए प्रेस परिषद को मजबूत करने की जरूरत है।’

 

केजरीवाल ने कहा कि मीडिया और एनजीओ में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अन्य कानूनों को भी मजबूत करने की जरूरत है क्योंकि बड़ी संख्या में गैर सरकारी संगठनों को इसके दायरे में लाये जाने से ‘चीजें भ्रम पैदा करने वाली’ हो जाएंगी। इस बीच किरण बेदी ने निजी कंपनियों के अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों और मीडिया को लोकपाल के दायरे में लाए जाने का स्वागत किया। केजरीवाल ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम अपने गैर सरकारी संगठनों की जांच किए जाने से डर गए हैं। हम डरे नहीं हैं। हमारे एनजीओ की जांच कीजिए, हम बुरा नहीं मानेंगे, लेकिन इस प्रकार के संगठनों के लिए रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी एंड ट्रस्ट कानून को मजबूत किए जाने की जरूरत है, हम इसके लिए तैयार हैं।’

 

केजरीवाल नागरिक आचार संहिता पर मसौदा रिपोर्ट की सिफारिशों से भी सहमत नहीं हैं जो टीम अन्ना के लोकपाल आंदोलन के दौरान मुख्य मांगों में शामिल है। उन्होंने कहा, ‘पूरे राज्य में शिकायतों के निपटारे को देखने के लिये ब्लॉक स्तर पर अधिकारी नियुक्त करने की हमारी मांग के विपरीत केवल राज्य की राजधानी में पांच सदस्यों की नियुक्ति से यह पूरी व्यवस्था केवल चार दिनों में ढह जाएगी।’ केजरीवाल ने सीबीआई को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की भी जमकर निंदा की और कहा कि सरकार द्वारा इस जांच एजेंसी पर से नियंत्रण हटाए बिना लोकपाल एक ‘खाली डिब्बे’ की तरह हो जाएगा।

First Published: Tuesday, November 29, 2011, 19:19

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