Last Updated: Monday, August 20, 2012, 20:57
गुवाहाटी/ईटानगर : असम हिंसा के बाद देश के कई हिस्सों में पूर्वोत्तर के लोगों पर हमले की अफवाहों के थमने के बाद वापस अपने राज्य लौटे लोगों को अब महसूस हो रहा है कि उन्हें वापस नहीं लौटना चाहिये था। कुछ लोग अपने काम पर वापस भी जाने के इच्छुक हैं। पिछले कुछ दिनों में अपने मूल राज्यों में लौटे पूर्वोत्तर के लोगों का मानना है कि उनका भविष्य अनिश्चित हो जायेगा क्योंकि रोजगार के अवसर सीमित हैं।
उज्जल बरुआ, रायी कुर्मी, दीपक बर्मन, प्रसंता भट्टाचार्य और रूमी बोरठाकुर ऐसे 40-50 हजार लोगों में से हैं जो पिछले कुछ दिनों में बेंगलूर से वापस अपने मूल राज्य असम लौट आये।
बोरठाकुर ने बताया, जब हम यहां वापस पहुंचे और कुछ दिनों के हालात पर नजर रखी तो लगा कि कुछ भी गंभीर नहीं था। हमें वहीं रहना चाहिये था। अरुणाचाल प्रदेश वापस लौटे कई लोगोंे के मन में भी यही विचार कौंध रहा है। वापस लौटे ज्यादातर लोगों का कहना है कि वे वापस इसलिये लौटे क्योंकि वे कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे।
ईटानगर वापस लौटे बेंगलूर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र मिनाम तोदरंग ने कहा, पूर्वोत्तर के लेागों पर हमलों का कोई ठोस सबूत नहीं है पर मै कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता था इसलिये वापस लौट आया। असम के नगांव की रहने वाली रूमी बोरठाकुर ने कहा कि उन्हें अज्ञात नंबरों से एसएमएस आया जिसमें उनसे शहर छोड़ कर जाने के लिये कहा गया था। रूमी ने बताया कि वे और उनके साथ रहने वाली सहेली डर गये और उन्होंने अपने माता पिता को फोन किया जिन्हांने उन्हें वापस आने की सलाह दी।
बेंगलूर में रेस्तरां और होटलों में काम कर चुके उज्जल बरुआ ने बताया, मुंबई के आजाद मैदान में हुयी हिंसा के एक दिन बाद कुछ असमी युवक मेरे रेस्तरां में आये। मैंने उन्हें चिंताजनक हालात और एसएमएस से मिलने वाली धमकियों के बारे में बात करते हुये सुना। मैंने भी वापस लौटने का फैसला कर लिया। इंजीनियरिंग की छात्रा अशिन पंगम ने बताया, मैं कल ईटानगर वापस पहुंच गयी क्योंकि मेरे सारे सहपाठियों ने कुछ दिनों पहले ही शहर छोड़ दिया था। पूरा छात्रावास खाली था इसलिये मैंने भी वापस आने का फैसला लिया। उन्होंने कहा, मैंने डर के कारण छात्रावास नहीं छोड़ा है बल्कि अकेला महसूस करने के कारण छोड़ा है। छात्रों के अलावा बेंगलूर और हैदराबाद की विभिन्न निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी भी वापस अपने राज्य आ पहुंचे हैं।
बेंगलूर में एचडीएफसी बैंक में काम करने वाले रिकज्योति भत्श्या भी किसी अप्रिय घटना से बचने के लिये शहर छोड़ कर वापस आ गये। उन्होंने कहा, मैं छुट्टी लेकर वापस आ गया क्योंकि मैं खतरा मोल नहीं लेना चाहता था।
वहीं बेंगलूर की एक निजी फर्म में काम करने वाली अमस की रायी कुर्मी के लिये पिछले कुछ दिनों का अनुभव थोड़ा कड़वा रहा है। गुवाहाटी पहुंची रायी ने कहा बाहर के लोगों को असम के बारे में खास जानकारी नहीं होती। मैं चाय उत्पादन करने वाले समुदाय से हूं जिसका इस हिंसा से कुछ लेना देना नहीं है। पर किसी आपात स्थिति में इससे मुझे कोई मदद नहीं मिलेगी। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने लोकसभा सदस्य तकम संजोय के नेतृत्व में एक सद्भावना दल को हैदराबाद भेजा है। यह दल राज्य के लोगों में विश्वास पैदा करेगा।
छात्रों के एक समूह ने इस दल के साथ कल मुलाकात की और कहा कि वे शहर में महफूज़ हैं। उन्होंने बताया कि उन पर अफवाहों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। वापस लौटे लोगों का मानना है कि उन्हें अपना जीविका का अर्जन करना है और वे वापस आकर खाली नहीं बैठ सकते। (एजेंसी)
First Published: Monday, August 20, 2012, 20:57