Last Updated: Saturday, September 15, 2012, 15:12

नई दिल्ली : डीजल की कीमत में बढ़ोतरी से बड़े पैमाने पर विरोध से अविचलित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया और उम्मीद जताई कि अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्तीय वर्ष के दूसरे पखवाड़े में फिर से उछाल लेगी। प्रधानमंत्री ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दस्तावेज को मंजूरी के लिये बुलाई गयी योजना आयोग की पूर्ण बैठक को संबोधित करते हुए कहा, डीजल की कीमत में हाल की बढ़ोतरी सही दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। सिंह ने उर्जा नीति की व्यापक पुनरीक्षा की जरूरत बताते हुए कहा कि देश की उर्जा सुरक्षा के लिये यह महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि उर्जा एक कठिन क्षेत्र है जहां नीति की व्यापक पुनरीक्षा की जरूरत है। हमारे पास उर्जा की कमी है और आयात पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। हमारी उर्जा सुरक्षा के लिये यह महत्वपूर्ण है कि हम घरेलू उत्पादन बढ़ायें और उर्जा दक्षता में भी वृद्धि करें। प्रधानमंत्री ने कहा, लिहाजा तार्किक उर्जा कीमत महत्वपूर्ण है। हमारी उर्जा की कीमतें वैश्विक हिसाब से नहीं हैं।
सरकार ने दो दिन पहले ही डीजल की कीमत में पांच रुपए प्रति लीटर बढायी है और सब्सिडी वाले रसोई गैस की आपूर्ति प्रति परिवार प्रति वर्ष छह सिलिंडर तक सीमित कर दी है। इन निर्णयों का जनता और राजनीतिक संगठन विरोध कर रहे हैं।
वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ये अल्पकालिक अड़चने हैं, इससे आगे आने वाले समय में हमारी तरक्की की संभावनाओं को लेकर निराशा नहीं उत्पन्न होनी चाहिए। उन्होंने कहा, हमारी तात्कालिक प्राथमिकता होनी चाहिए कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर को पुन: गति प्रदान करने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं। इसके बाद हमें योजनावधि के अंत तक वृद्धि दर को करीब नौ फीसद पर पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए। बारहवीं योजना में 8.2 फीसद की सालाना औसत वृद्धि दर का अनुमान जाहिर किया गया है जो पूर्वानुमानित नौ फीसद की वृद्धि दर से कम है। अर्थव्यवस्था ने 11वीं योजना में 7.9 फीसद की वृद्धि दर दर्ज की।
प्रधानमंत्री की राय में 11वीं योजना की औसत वृद्धि दर भी अच्छी ही मानी जाएगी क्योंकि इस दौरान दो वैश्विक वित्तीय संकटों से दो चार होना पड़ा। इनमें पहला संकट 2008 में और दूसरा 2011 में उत्पन्न हुआ। सिंह ने कहा कि 2004-05 से 2009-10 के बीच गरीबी इससे पहले के 10 वषरें की तुलना में दोगुनी गति कम हुई जबकि 11वीं योजनावधि में कृषि की वृद्धि दर 3.3 फीसदी रही जो 10वीं योजना में दर्ज 2.4 फीसद की वृद्धि के मुकाबले बहुत अधिक है।
बारहवीं योजनावधि में वृद्धि की संभावनाओं के संबंध में सिंह ने कहा ‘‘हमें यह जरूरत मानना चाहिए कि 12वीं योजना उस साल शुरू हो रही है जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में दिक्कतें हैं और हमारी अर्थव्यवस्था में भी नरमी आई है। बाहरवीं योजनावधि के दौरान वृद्धि का लक्ष्य नौ फीसद से घटाकर 8.2 फीसद करने के संबंध में उन्होंने कहा कि वैश्विक हालात को देखते हुए अनुमान में थोड़ी कमी व्यावहारिक है।
पर्याप्त पहल के अभावन में वृद्धि में कमी की आशंका के प्रति आगाह करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, मेरा मानना है कि हम पहले परिदृश्य के अनुमान को सही साबित कर सकते हैं जिसके तहत 8.2 फीसद की वृद्धि दर की संभावना जताई गई है। इसके लिए साहस और कुछ जोखिम उठाने की जरूरत होगी। सिंह की राय में भारत को तो कम से कम इस स्तर की वृद्धि तो हासिल होनी ही चाहिए। बुनियादी ढांचा क्षेत्र का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि परियोजनाओं पर अमल तेज करने की कोशिश होगी।
उन्होंने बुनियादी ढांचा से जुड़े मंत्रालयों से 12वीं योजना के दौरन संबंधित क्षेत्रों में महत्वाकांक्षी लक्ष्य स्थापित करने का आह्वान करते हुए कहा, आपूर्ति की राह की अड़चने दूर करने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है क्यों कि इससे दूसरे क्षेत्रों की वृद्धि बाधित हो रही है। यह निवेशकों के रुझान को भी प्रोत्साहित करेगा ताकि निवेश की रफ्तार बढ़ाई जा सके। देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में करीब 1,000 अरब डालर के निवेश की जरूरत है। उन्होंने कहा, हमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह स्वयं बुनियादी ढांचगत क्षेत्रों के प्रभारी मंत्रालयों के प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे ताकि लक्षित परियोजनाओं का तेजी से कार्यान्वयन किया जा सके।
सिंह ने वृद्धि दर बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था में निवेश तेज करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, दूसरा हिस्सा वृहत् आर्थिक संतुलन से संबद्ध है। 8.2 फीसद की वृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हमें अर्थव्यवस्था में निवेश फिर से शुरू करने की जरूरत है। इसलिए निवेश का माहौल महत्वपूर्ण है। इसी तरह उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) को प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि चालू खाता घाटे की समस्या से निपटा जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा, निर्यात संभावनाएं कमजोर होने के कारण 12वीं योजना में चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 2.9 फीसद रहने की संभावना जताई गई है। चालू खाते के घाटे का वित्तीय प्रबंध मुख्य तौर पर एफडीआई और एफआईआई (संगत विदेशी निवेश) के जरिए जुटाया जाना चाहिए मेरा मानना है कि हम निवेश आकर्षित कर सकते हैं बशर्ते हमारा राजकोषीय घाटा नियंत्रण में आता दिखे और वृद्धि की रफ्तार लीक पर आ जाए।
राजकोषीय घाटे के बारे में उन्होंने कहा, यह बहुत अधिक है और विश्लेषक इसकी आलोचना कर रहे हैं। इसे मध्यम अवधि में कम किया जाना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था के उपयोग के लिए घरेलू संसाधन जारी किया जा सके।बारहवीं योजना के दौरान सामाजिक क्षेत्र के लक्ष्यों के बार में सिंह ने कहा स्वास्थ्य, शिक्षा, जल संसाधन प्रबंधन, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जैसे क्षेत्रों में महत्वाकांक्षी योजनाएं लागू की जा रही हैं। (एजेंसी)
First Published: Saturday, September 15, 2012, 11:16