तंत्र में समाज की आस्था जरूरी: भागवत - Zee News हिंदी

तंत्र में समाज की आस्था जरूरी: भागवत

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने आज कहा कि देश को चलाने के लिए ऐसे तंत्र की जरूरत है जिसमें समाज की आस्था हो। देश के अनुकूल तंत्र बनाने के लिए नेताओं और कार्यकर्ताओं को काम करना होगा।

 

राज्यसभा सदस्य अनिल माधव दवे की पुस्तक ‘शिवाजी और सुराज’ के विमोचन मौके पर भागवत ने कहा कि 400 साल पहले शिवाजी के राज में भी आज जैसी ही परिस्थितियां थीं, तब भी अशांति, भ्रष्टाचार और विषमता थी और आज भी है। अंतर केवल इतना है कि आज हम स्वतंत्र हैं जबकि उस समय परतंत्र थे।

 

भागवत ने कहा कि शिवाजी के शासन प्रशासन के तरीकों को आज भी उपयुक्त मानते हुए समाज को स्वीकार्य व्यवस्था देनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि समय के साथ बदलना जरूरी है लेकिन चार सदी पुराने शिवाजी आज भी प्रासंगिक हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि उन पुराने आदर्शों पर चलते हुए आज भी धर्म आधारित व्यवस्था हो सकती है जिसमें धर्म का अर्थ किसी एक विशेष संप्रदाय से नहीं बल्कि समाज को साथ मिलकर चलाने से है।

 

इस मौके पर पुस्तक के लेखक अनिल माधव दवे ने कहा कि शिवाजी पर आधारित इस पुस्तक में कहीं भी युद्ध या द्वंद्व का वर्णन नहीं है। इसमें उनकी शासन व्यवस्था चलाने का उल्लेख है। पुस्तक में तत्कालीन प्रशासन से आज की शासन व्यवस्था का और उस समय के विभागों की तुलना वर्तमान समय में सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से की गई है।

 

पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि देश में कुशासन के कारण कठिनाइयां आ रही हैं और यदि शासन अच्छा हो तो भारत विश्व में सबसे ऊंचा होगा। पुस्तक की प्रस्तावना गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लिखी है। विमोचन समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद समेत कई नेता और मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री बाबू लाल गौर उपस्थित थे। (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 29, 2012, 21:39

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