Last Updated: Saturday, January 19, 2013, 18:26

शिबपुर (पश्चिम बंगाल) : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि प्रौद्योगिकी का विकास लोगों के फायदे के लिए किया जाना चाहिए और अंतरिक्ष, ऊर्जा, चिकित्सा तथा रक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में कुशल अनुसंधानकर्ताओं की देश में कमी है।
उन्होंने कहा, ‘अक्सर मैंने देखा है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, रक्षा के साथ ही चिकित्सा प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में मूलभूत इंजीनियरिंग अनुसंधान जैसे सामरिक क्षेत्रों में अनुसंधान करने वाले लोगों की कमी है।’ राष्ट्रपति बंगाल इंजीनियरिंग एंड साइंस यूनिवर्सिटी (बेसु) के पांचवे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुखर्जी ने कहा, ‘आप विज्ञान की सीमाओं को तोड़ते हैं और नई तकनीक खोजते हैं, इसलिए मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा कि आपके प्रयास वाकई में अमूल्य होंगे अगर ये हमारे उद्योग में दक्षता, लोगों के रोजाना जीवन में सुविधा लाते हैं और हमारे नागरिकों में से सबसे ज्यादा चुनौती का सामना कर रहे लोगों के आंसुओं को पोंछ डालते हैं।’
राष्ट्रपति ने कहा कि वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता उद्योग के साथ सहजीवन संबंध स्थापित कर सकते हैं जिसका प्रौद्योगिकी के विकास और उसे उपयोक्ताओं उन्मुखी बनाना हो जो लोगों को हमेशा फायदा दे। एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी, रिमोट सेंसिंग और पदार्थ विज्ञान एवं तकनीक जैसे सामरिक क्षेत्रों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों की शुरूआत करने के लिए उन्होंने बेसु की प्रशंसा की।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने बेसु को उसके अभूतपूर्व योगदान के कारण भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान एवं तकनीक संस्थान में रूपांतरित करने और इसे ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान’ के तौर पर स्वीकार करने का फैसला किया है। उन्होंने समारोह में मौजूद लोगों से भारतीय धरोहर और सहनशीलता और परस्पर सम्मान की परंपरा को भूले बिना विकास के लक्ष्यों को पाने के समावेशी रूख में और समाज निर्माण में सक्रिय होने की अपील की। राष्ट्रपति ने भौतिकविद् डॉ. एमएस वलिआथन, शिक्षाविद् डॉ. बी के बोस और शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी को मानद डॉक्ट्रेट की उपाधि भी प्रदान की। (एजेंसी)
First Published: Saturday, January 19, 2013, 18:26