Last Updated: Tuesday, March 13, 2012, 06:52
नई दिल्ली : लिट्टे के खिलाफ युद्ध के दौरान श्रीलंकाई सेना द्वारा तमिलों के खिलाफ किये गये अत्याचार के विरोध में संरा मानवाधिकार परिषद में लाये जाने वाले प्रस्ताव के बारे में सरकार से उसका रूख स्पष्ट करने की मांग करते हुए संप्रग के घटक द्रमुक तथा विपक्षी अन्नाद्रमुक सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने राज्यसभा में भारी हंगामा किया जिससे बैठक को दोपहर 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा।
हंगामे के बीच संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे पर फौरन विदेश मंत्री से बात करेंगे और इस बारे में सदन में बयान दिया जाएगा। सदन में 20 मिनट तक हंगामे के कारण प्रश्नकाल नहीं चल पाया। बैठक शुरू होते ही द्रमुक, अन्नाद्रमुक, भाकपा, माकपा सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाना शुरू किया। सभापति ने सभी सदस्यों को शांत कराते हुए कहा कि उनके नेता एक एक करके अपनी बात रखें।
द्रमुक के तिरूचि शिवा ने कहा कि यह तमिल लोगों की भावना से जुड़ा मामला है। अमेरिका, फ्रांस और नार्वे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की जिनीवा में होने वाली बैठक में एक प्रस्ताव लाने वाले हैं। इस प्रस्ताव में लिट्टे के खिलाफ युद्ध के अंतिम चरण में तमिलों पर श्रीलंका सेना द्वारा किये गये अत्याचार के लिए श्रीलंका की भर्त्सना की गयी है। शिवा ने कहा कि भारत की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इस प्रस्ताव का समर्थन करे। उन्होंने कहा कि सरकार सदन में यह आश्वासन दे कि वह प्रस्ताव का समर्थन करेगी।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 13, 2012, 12:22