Last Updated: Friday, October 14, 2011, 14:46
नई दिल्ली : ‘ताजमहल’ के अगले पांच साल में ढह जाने की अंदेशा जताने वाली मीडिया की खबरों पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति डीके जैन और न्यायमूर्ति एआर दवे की एक पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को नोटिस जारी किया है तथा उन्हें दो हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है।
खबर के मुताबिक, इस स्मारक की नींव कथित तौर पर कमजोर हो रही है क्योंकि इमारत की महोगनी (सदाबहार वृक्ष) का पोषण करने वाली यमुना नदी वनों की कटाई और प्रदूषण के चलते सूख रही है। यह कहा गया है कि इस मशहूर स्मारक की नींव को नुकसान पहुंचा है और कूप में इस्तेमाल की गई लकड़ियां सड़ गई हैं। यहा भी कहा गया है कि यमुना का पानी स्मारक की विशाल नींव को कायम रखने के लिए आवश्यक है। इसकी विशाल नींव कूप, मेहराब और लकड़ी की तीलियों के चक्र की एक जटिल प्रणाली को सहारा देती है। शुष्क वातावरण से ‘साल की लकड़ी’ को नुकसान पहुंच सकता है और यह नष्ट हो सकती है।
गौरतलब है कि ताजमहल को मुगल शासक शाहजहां ने अपनी तीसरी पत्नी मुमताज की याद में 17वीं सदी में बनवाया था। बहरहाल, इस मामले की अगली सुनवाई 15 नवंबर को की जाएगी।
(एजेंसी)
First Published: Friday, October 14, 2011, 20:17