Last Updated: Sunday, February 5, 2012, 05:51
नई दिल्ली: अंडमान के जारवा आदिवासी समुदाय की अर्धनग्न महिलाओं के नृत्य संबंधी वीडियो फुटेज को लेकर की गई जांच में खुलासा हुआ है कि यह फुटेज करीब साढ़े तीन साल पुराना है।
अंडमान निकाबोर द्वीप समूह प्रशासन द्वारा इस वीडियो फुटेज को लेकर तैयार जांच रिपोर्ट में इन दावों को खारिज किया गया है कि जारवा जनजाति की महिलाओं के नृत्य संबंधी यह वीडियो हाल ही में बनाया गया है।
इस बीच अंडमान के आदिवासियों के शोषण का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा कि ऐसे दो और वीडियो आने से मामला फिर से गरमाने की उम्मीद है। इन वीडियो में आदिवासियों को विदेशी सैलानियों के सामने नचाने में स्थानीय पुलिसवालों की मिलीभगत सामने आ गई है।
आयोग के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने के मुताबिक ‘अंडमान में आदिवासी कल्याण विभाग के सहायक निदेशक ने हमें बताया है कि जांच पूरी हो चुकी है। इसमें यह बात सामने आई है कि यह वीडियो साढ़े तीन साल पुराना है और इस तरह का कोई भी नया वीडियो नहीं बनाया गया है।’
पिछले महीने इस वीडियो फुटेज के सामने आने के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अंडमान प्रशासन को इस मामले की जांच करने और जल्द से जल्द रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया था।
अंडमान प्रशासन ने पूरी जांच के बाद यह रिपोर्ट तैयार कर ली है और अब यह रिपोर्ट शीघ्र ही आयोग के पास आने वाली है।
उरांव ने कहा कि अंडमान के अधिकारियों ने उन्हें बताया है कि अब पर्यटकों के अंडमान ट्रंक मार्ग पर बीच में उतरने और वहां वीडियो बनाने या फोटो लेने पर रोक का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। पर्यटक पहले इसी मार्ग के जरिये जारवा समुदाय के सदस्यों तक पहुंचते थे। उन्होंने कहा कि इस मार्ग पर जाने के लिए देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को ले जाना अनिवार्य कर दिया गया है।
गौरतलब है कि लंदन के अखबार आब्जर्वर ने पिछले महीने जनवरी में अर्धनग्न आदिवासी महिलाओं को नृत्य करते हुए दिखाने वाले वीडियो फुटेज जारी किये थे जिससे खासा विवाद पैदा हो गया था।
इस प्रकरण के बाद जांच के आदेश दिये गये थे और स्थानीय पुलिस ने वीडियो फिल्माने के मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस संबंध में कुछ लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, February 5, 2012, 15:35