Last Updated: Tuesday, November 20, 2012, 12:38

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : मल्टीब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई और अन्य मुद्दों पर लोकसभा में संप्रग सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तृणमूल कांग्रेस की योजना को लेकर भारतीय जनता पार्टी और एआईएडीएमके ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। भाजपा संसदीय दल की आज बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। गौर हो कि वामदलों की ओर से भी ममता के इस प्रस्ताव को समर्थन नहीं मिला।
तृणमूल कांग्रेस के इस प्रस्ताव की सफलता बहुत हद तक भाजपा, समाजवादी पार्टी और बसपा के रुख पर निर्भर करेगी। फिलहाल सपा और बसपा दोनों सरकार को अस्थिर करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने सोमवार को कहा था कि हम भाजपा संसदीय दल की कार्यकारिणी की बैठक में मंगलवार को इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। बैठक आज लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर सुबह 11 बजे होगी। बाद में शाम में राजग की भी बैठक होगी जिसमें 22 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की जाएगी।
पार्टी के एक धड़े का हालांकि मानना है कि अविश्वास प्रस्ताव जल्दबजी होगी क्योंकि लोकसभा में इसके सफल होने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटाने के लिए जमीनी कार्य किए जाने की आवश्यकता है। भाजपा का मानना है कि अगर लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव गिर जाता है तो सरकार को अगले छह महीने के लिए संजीवनी मिल जाएगी और वह एफडीआई जैसे अहम आर्थिक सुधार करने के अपने हालिया फैसलों समेत अपने सभी कृत्यों को उचित ठहराएगी। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने कहा कि सरकार लोकसभा में अपना बहुमत साबित कर देगी भले ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए या खुदरा कारोबार पर कोई अन्य भी प्रस्ताव लाया जाता है जिसमें मतदान कराने का प्रावधान हो।
मुख्य विपक्षी भाजपा ने अपनी रणनीति की घोषणा करने से इनकार कर दिया। अगर अविश्वास प्रस्ताव को सफल होना है तो भाजपा का समर्थन तृणमूल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है। फिलहाल सरकार को 545 सीटों वाली लोकसभा में तकरीबन 265 सांसदों का समर्थन हासिल है। इसमें द्रमुक के 18 सांसद भी शामिल हैं। समाजवादी पार्टी के (22) और बसपा के 21 सांसदों के समर्थन से यह आंकड़ा 300 पर पहुंच जाता है। बहुमत के लिए सरकार को लोकसभा में 273 सांसदों के समर्थन की जरूरत है।
वहीं, माकपा महासचिव प्रकाश करात ने बीते दिनों यहां संवाददाताओं से कहा कि हमारा मानना है कि यह :अविश्वास प्रस्ताव: फिलहाल ज्यादा मददगार नहीं होगा। हर कोई जानता है कि संप्रग सरकार के पास संख्या बल है। करात ने यहां कहा कि अगर आप विफल होते हैं और प्रस्ताव गिर जाता है तो यह सरकार को अपनी सभी गलतियों को ढंकने में मदद प्रदान करेगा और यह इस बात का दावा करने में उसकी मदद करेगा कि उसके पास संसद का जनादेश है। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा ने वस्तुत: करात के सुर में सुर मिलाया। उन्होंने कहा कि यह देखना होगा कि प्रस्ताव को किसका समर्थन हासिल है और क्या मुद्दे हैं।बसपा और सपा ने साथ मिलकर या अलग से अब तक सरकार से समर्थन वापस लेने के प्रति संकेत नहीं दिया है।
उधर, कांग्रेस के पार्टी प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने संवाददाताओं से कहा कि हम संख्या बल को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं और जब भी इस तरह का प्रस्ताव आएगा तो हम लोकसभा में बहुमत साबित कर देंगे। हमारे पास 272 से अधिक सांसदों का समर्थन हैं कि साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की मुद्दे पर विश्वास मत हासिल करने की योजना नहीं है, जैसा 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु करार पर वामदलों के समर्थन वापस लेने पर संप्रग 1 सरकार के कार्यकाल के दौरान किया गया था।
First Published: Tuesday, November 20, 2012, 09:39