Last Updated: Friday, September 20, 2013, 22:07
नई दिल्ली : तेलंगाना के मुद्दे पर कोई दूसरी राय बनने की धारणाओं को खारिज करते हुए कांग्रेस पार्टी और सरकार ने आज कहा कि पृथक तेलंगाना राज्य गठित करने के निर्णय से पीछे हटने का कोई सवाल नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता पीसी चाको ने कहा कि इस मुद्दे पर दोनों तरफ गहरी भावनाएं हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हमारी गंभीर समस्या है लेकिन साथ ही कहा कि कांग्रेस के पास मुद्दों को सुलझाने का तंत्र है और आंतरिक क्षमता है। उन्होंने कहा, हमने जो फैसला किया है, उस फैसले से पीछे हटने और दोबारा विचार करने का कोई सवाल नहीं है।
केन्द्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भी अलग से बातचीत में तेलंगाना के मुद्दे पर राय बदलने की धारणाओं को खारिज किया। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 2 सितंबर को कहा था कि तेलंगाना राज्य बनाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नोट 20 दिन के भीतर केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा लेकिन आज कैबिनेट की बैठक में इसे प्रस्तुत नहीं किया गया।
जब केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी से पूछा गया कि क्या यह अलग राज्य के विषय पर सरकार की सोच बदलने की ओर इशारा है, उन्होंने कहा कि तेलंगाना पर फैसला कायम है। तिवारी ने कहा, ‘तेलंगाना के सवाल पर संवेदनशीलता रही है। यह प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है और विस्तृत विचार विमर्श के बाद, सरकार द्वारा नियुक्त आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद एक फैसला किया गया। यह फैसला जाहिर तौर पर कायम है।’ तिवारी के अनुसार गृह मंत्री ने स्पष्ट किया था कि प्रक्रिया चल रही है।
जब तिवारी से पूछा गया कि क्या पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा और चुनाव आयोग की ओर से आचार संहिता प्रभाव में आने के बाद तेलंगाना के फैसले पर देरी हो सकती है तो उन्होंने नहीं में जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘अगर मेरी समझ सही है तो आदर्श आचार संहिता उस राज्य में लागू होती है जिसमें चुनाव होने हैं लेकिन संभवत: उन पर नहीं जहां चुनाव नहीं होने। मुझे नहीं लगता कि सरकार के सामने प्रक्रिया को जारी रखने में वाकई ऐसी कोई अड़चन होगी जिसका गृह मंत्री ने उल्लेख किया था।’
गृह मंत्रालय ने तेलंगाना राज्य के निर्माण के लिए नोट तैयार किया है और इस तरह के संकेत थे कि इसे राजनीतिक मंजूरी मिलने के बाद बहुत जल्दी केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। शिंदे द्वारा अध्ययन के बाद मसौदे को मंजूरी के लिए कानून मंत्रालय को भेजा जाएगा। कैबिनेट ए के एंटनी समिति की सिफारिशों पर भी विचार कर सकती है। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 20, 2013, 22:07