...तो 1962 युद्ध के नतीजे भिन्न होते : ब्राउन

...तो 1962 युद्ध के नतीजे भिन्न होते : ब्राउन

...तो 1962 युद्ध के नतीजे भिन्न होते : ब्राउननई दिल्ली: भारतीय वायु सेना प्रमुख एन ए के ब्राउन ने शुक्रवार को कहा कि चीन के साथ हुए 1962 के युद्ध में यदि वायुसेना को आक्रमण की इजाजत दी गयी होती तो नतीजे भिन्न हो सकते थे। उन्होंने कहा कि यदि भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल नहीं किया गया होता तो 1999 का करगिल संघर्ष तीन महीने और खिंच जाता।

यह पूछे जाने पर कि यदि 1962 के युद्ध में वायुसेना का इस्तेमाल किया गया होता तो क्या नतीजे अलग हो सकते थे, एयर चीफ मार्शल ब्राउन ने कहा, ‘हां, इसमें कोई संदेह ही नहीं है। यदि वायु शक्ति का इस्तेमाल उस समय किया गया होता तो नतीजे पूरी तरह भिन्न होते।’वायुसेना प्रमुख वाषिर्क वायुसेना दिवस संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

चीन के साथ हुए 1962 के युद्ध में भारतीय वायु सेना का इस्तेमाल नहीं किये जाने के मुद्दे पर सैन्य इतिहासकारों और विशेषज्ञों में अभी तक बहस छिड़ी है तथा आज तक इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि उस समय वायुसेना का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया।

ब्राउन ने कहा, ‘‘लेकिन इस समय मैं आपको आश्वस्त कर सकता है कि इस तरह की कोई बाधा नहीं होगी। भारतीय वायुसेना न केवल उसके बल्कि किसी भी अन्य क्षेत्र और कहीं भी अग्रणी भूमिका निभायेगी।’’

उन्होंने कहा कि 26 अक्तूबर को इस विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की जायेगी कि यदि भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल किया जाता तो 1962 के नतीजे भिन्न होते। ‘‘हमारा मानना है कि वे भिन्न होते।’’ करगिल युद्ध को समाप्त करने का श्रेय लेते हुए ब्राउन ने कहा, ‘‘यदि भारतीय वायुसेना सही समय पर आक्रामक रूप से युद्ध में नहीं उतरी होती तो करगिल संघर्ष तीन महीने और खिंच जाता क्योंकि उन दुर्गम पहाड़ियों पर चढ़ना हमारे युवा जवानों और अधिकारियों के लिए बेहद कठिन हो जाता है और उनकी जान जाती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वायु शक्ति के कारण ही युद्ध समाप्त हुआ।’’ (एजेंसी)

First Published: Friday, October 5, 2012, 19:24

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