दक्षिण में ‘वाई’ फैक्टर भाजपा-कांग्रेस की मुसीबत

दक्षिण में ‘वाई’ फैक्टर भाजपा-कांग्रेस की मुसीबत

नई दिल्ली : देश में लोकसभा चुनावों का माहौल बनने लगा है और ऐसे में दक्षिण भारत में भाजपा और कांग्रेस के सामने ‘वाई’ फैक्टर चिंता का कारण बना हुआ है। कर्नाटक में भाजपा के बड़े नेता माने जाते रहे बीएस येदियुरप्पा ने पार्टी को झटका दिया है तो आंध्र प्रदेश में वाईएस जगनमोहन रेड्डी द्वारा वाईएसआर कांग्रेस के गठन से कांग्रेस अभी तक नहीं उबर पाई है। येदियुरप्पा और दिवंगत कांग्रेसी नेता वाई एस राजशेखर रेड्डी के मामलों में कई समानताएं हैं। येदियुरप्पा ने जहां अपनी नयी पार्टी का ऐलान किया है वहीं वाईएसआर के बेटे ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई।

70 वर्षीय येदियुरप्पा के नेतृत्व में ही भाजपा ने पहली बार किसी दक्षिणी राज्य में जीत हासिल की थी। उधर, वाईएसआर ने आंध्र प्रदेश में पिछले कुछ सालों में कांग्रेस का जनाधार बढ़ाया था। 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस के प्रदर्शन के लिए दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री का बड़ा योगदान रहा। येदियुरप्पा को जहां पिछले साल भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा वहीं वाईएसआर के परिवार पर भी आय से अधिक संपत्ति और कथित जमीन सौदों के आरोप लगते रहे हैं। जगनमोहन पिछले छह महीने से जेल में हैं।

निजी बातचीत में भाजपा नेता मानते हैं कि येदियुरप्पा कर्नाटक में पार्टी के सबसे बड़े नेता रहे। आंध्र प्रदेश में भी जगनमोहन के अलग होने के बाद कांग्रेस स्थिर नहीं रह पाई है। पिछले कुछ समय में आंध्र प्रदेश में हुए विधानसभा और लोकसभा के उपचुनावों में कांग्रेस की हालत पतली रही जिसमें अलग तेलंगाना राज्य के मुद्दे का भी असर रहा। दक्षिण भारत में कुल 130 लोकसभा की सीटें हैं जिनमें सर्वाधिक आंध्र प्रदेश में हैं जिनकी संख्या 42 है। तमिलनाडु में 39, कर्नाटक में 28, केरल में 20 और पुडुचेरी में एक सीट है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, December 2, 2012, 14:30

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