Last Updated: Tuesday, October 23, 2012, 15:48
नई दिल्ली : नौ दिनों तक चलने वाले दुर्गा पर्व नवरात्र का मंगलवार को अंतिम दिन है और बुधवार को विजयादशमी पर एक बार फिर बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर जलने के लिए दशानन के पुतले लाइट, साउंड इफैक्ट और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ तैयार हो चुके हैं।
राजधानी में वर्ष 1975 से रावण बनाने वाले मोहम्मद तुशीद हापुड़ के रहने वाले हैं। वह कहते हैं कि रावण के छोटे पुतले तो 500 रुपये में मिल जाते हैं और बड़े पुतलों की कीमत लाखों में जाती है। अब कच्चा माल महंगा हो गया है। बांस हमें असम से मंगवाना पड़ता है। पेट्रोल डीजल की कीमत बढ़ने की वजह से परिवहन लागत भी बढ़ गई। लिहाजा बांस महंगा हो गया। और भी कई कारण हैं जिसकी वजह से रावण के पुतले इस बार महंगे हो गए।
सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन दुनिया की सबसे बदनाम शख्सियत रावण कई परिवारों की रोजी रोटी में मददगार बना हुआ है। महंगाई की मार दशानन पर भी पड़ी और उसे तैयार करने वाला कच्चा माल महंगा हो गया लेकिन उसके दस सर कल दहन से पहले फिर गर्व से इतराते हुए मानों कहेंगे ‘पहले भी जले, आज भी जल रहे हैं और आगे भी जलेंगे।’ रावण के पुतले जरूर महंगे हो गए लेकिन उंचे रावण की मांग कम नहीं हुई। लव कुश रामलीला समिति के सचिव अजरुन कुमार ने बताया कि उनके यहां दहन किए जाने वाले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की लंबाई 100 फुट से अधिक है।
अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के कमाल की वजह से अब रावण न केवल अपना क्रोध जाहिर करता है बल्कि भगवान राम की वेशभूषा में सजा व्यक्ति बटन दबा कर ही तीर छोड़ सकता है। यह तीर रावण को लगता है और पुतला जलने लगता है। लव-कुश रामलीला समिति के अजरुन कुमार ने बताया ‘‘हमने भी प्रौद्योगिकी की मदद ली और मुंबई से विशेष लाइट मंगवाए। राम का तीर लगने पर तीनों पुतलों के मुंह से आग निगलेगी, उनके आभूषणों का रंग बदलेगा और जमीन पर गिरने से पहले पुतलों के मुंह से राम का नाम निकलेगा। हमारे यहां हनुमान की तलवार भी चमकेगी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 23, 2012, 15:48