Last Updated: Monday, September 23, 2013, 10:01

नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र को तीन माह हैं और सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद दो या उससे अधिक साला की कैद की सजा वाले आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए सांसदों, विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने से रोकने के लिए अध्यादेश लाने के विकल्प पर विचार कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि भ्रष्टाचार एवं अन्य मामलों में कांग्रेस सांसद रशीद मसूद को दोषी ठहराए जाने के बाद सरकार अध्यादेश के विकल्प पर विचार कर रही है। लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है।
अगले महीने सीबीआई अदालत मसूद को सजा सुना सकती है जिसके बाद राज्यसभा की उनकी सदस्यता जाने का खतरा है क्योंकि शीर्ष अदालत का 10 जुलाई का फैसला ही कानून बन गया है। वह शीर्ष अदालत के फैसले के बाद अपनी सीट गंवाने वाले पहले सांसद हो सकते हैं।
ऐसा महसूस किया जा रहा है कि जब तक संसद शीर्ष अदालत के फैसले को निष्प्रभावी बनाने वाला जन प्रतिनिधित्व (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2013 (राज्यसभा में लंबित) पारित नहीं कर देती तब तक निर्वाचित प्रतिनिधि :सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्य: अपनी सदस्यता गंवाते रहेंगे। लेकिन साथ ही यह भी माना जा रहा है कि यदि अध्यादेश लाया जाता है तो विपक्ष संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार की जम कर खबर ले सकता है क्योंकि यह विधेयक संसद में लंबित है। तकनीकी तौर पर सरकार अध्यादेश लाने को स्वतंत्र है क्योंकि दोनों सदनों का सत्रावसान हो चुका है। (एजेंसी)
First Published: Monday, September 23, 2013, 10:01