दागी सांसदों को अयोग्यता से बचाने को विधेयक पेश

दागी सांसदों को अयोग्यता से बचाने को विधेयक पेश

दागी सांसदों को अयोग्यता से बचाने को विधेयक पेशनई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के एक फैसले को निष्प्रभावी बनाने के मकसद से सरकार ने आज राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया जिसमें दोषी ठहराए गए सांसदों एवं विधायकों को फौरन अयोग्य घोषित होने से राहत देने का प्रावधान है। हालांकि ऐसे सदस्यों की अपील विचाराधीन रहने तक वे मतदान एवं वेतन के अधिकार से वंचित रहेंगे।

कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने इस मकसद से लोक प्रतिनिधित्व (दूसरा संशोधन और विधि मान्यकरण) विधेयक 2013 पेश किया। इसके जरिये 1951 के मूल कानून में बदलाव किए जाएंगे। यदि यह विधेयक संसद से पारित होने के बाद कानून बन गया तो यह 10 जुलाई 2013 से लागू होगा। उसी दिन उच्च न्यायालय ने दो निर्णय दिये थे। इनके तहत दोषी साबित किये गये सांसदों एवं विधायकों की सदस्यता को समाप्त करने तथा ऐसे लोगों के जेल से चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई है।

विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों में कहा गया कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय के उक्त आदेश की समीक्षा की है तथा भारत के एटार्नी जनरल से विचार विमर्श कर इस आदेश के खिलाफ पुनरीक्षा याचिका दायर की है। इसमें कहा गया कि इसके अतिरिक्त सरकार का यह मत है कि उक्त पुनरीक्षा याचिका के निर्णय की प्रतीक्षा किये बिना उच्चतम न्यायालय के आदेश से पैदा हुई स्थिति से उपयुक्त रूप से निबटने की जरूरत है। अत: उक्त कानून का संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।

एक संशोधन के अनुसार किसी सांसद, विधायक या विधान पार्षद को तब अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता है जबकि वह दोषी साबित होने के 90 दिनों के भीतर अपील दाखिल कर देता है या फैसले पर स्थगन आदेश मिल जाता है। जन प्रतिनिधि कानून में संशोधन के लिए लाये गये इस विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि दोषी ठहराये जाने के बाद कोई सांसद या विधायक को अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता बशर्ते कि उनकी अपील अदालत के सामने लंबित हो और फैसले पर स्थगनादेश दिया गया हो। (एजेंसी)

First Published: Friday, August 30, 2013, 22:53

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