Last Updated: Sunday, December 11, 2011, 09:16
नई दिल्ली : सदियों से कई राजाओं की राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रही नई दिल्ली भारत की राजधानी के तौर पर अपने उदय के कल सौ साल पूरे करने जा रही है और इस अवसर पर वह अपने गौरवमय इतिहास में कई और रोचक पन्ने जोड़ेगी।
12 दिसंबर 1911 को भारत के तत्कालीन शासक जॉर्ज पंचम ने कोलकाता के बजाय नई दिल्ली को ब्रिटिश काल की राजधानी घोषित किया और इस शहर का प्राचीन वैभव वापस लौटा। नई दिल्ली की स्थापना के सौ साल पूरे होने पर दिल्ली सरकार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) जैसी अन्य सांस्कृतिक एजेंसियों ने साल भर तक विभिन्न आयोजन करने की योजना बनाई है।
इस अवसर पर विशेष स्मरणपत्र जारी किए जाएंगे और विशेष प्रदर्शनियों का आयोजन होगा। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एक किताब का विमोचन करेंगी जिसमें दिल्ली के सात बार बसने उजड़ने और वर्तमान शहर के निर्माण का ब्यौरा होगा। इसके अलावा, शहर के स्मारकों पर एक फोटो प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी।
हालांकि इस मौके पर कोई आधिकारिक आयोजन नहीं होगा और मुख्यमंत्री शाम को किताब का विमोचन करेंगी।
बुधवार को वह और उप राज्यपाल तेजेन्दर खन्ना ‘दास्तान ए दिल्ली’ नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे। बरस भर चलने वाले कार्यक्रमों की शुरूआत जनवरी से होगी। शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर संस्कृति मंत्रालय कई आयोजन करेगा। दिल्ली वाले अपने शहर के शताब्दी वर्ष के आयोजनों का आनंद ले रहे हैं और बाबा खड़ग सिंह मार्ग पर फूड फेस्टीवल में उनकी खासी भीड़ उमड़ रही है।
‘दिल्ली के पकवान महोत्सव’ में दिल्ली के खानपान की संस्कृति नजर आ रही है। यहां तरह तरह के कबाब, कुल्फी और अन्य स्वदिष्ट पकवान लोगों को अपने स्वाद से दीवाना बना रहे हैं। 15 दिसंबर 1911 को किंग्सवे कैंप के दिल्ली दरबार में किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी ने नये शहर की इमारत की आधारशिला रखी थी और ब्रिटिश वास्तुशिल्पी एडविन लुटियन्स तथा हर्बर्ट बाकर ने वर्तमान नयी दिल्ली की इबारत लिखी।
करीब 3000 साल से दिल्ली पर कई राजाओं और शासकों ने शासन किया और इनमें से प्रत्येक ने दिल्ली की विरासत पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, December 11, 2011, 14:46