Last Updated: Friday, January 18, 2013, 22:16

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने पैरामेडिकल छात्रा के सामूहिक बलात्कार की घटना को ‘एक प्रमुख मोड़’ करार देते हुए इस घटना के बाद राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शुरू किए गए कदमों को रेखांकित किया।
दिल्ली पुलिस के सालाना संवाददाता सम्मेलन में पिछले माह हुए गैंगरेप का मुद्दा छाया रहा। सम्मेलन में दिल्ली पुलिस ने 2012 के अपराध आंकड़े जारी किये जिसमें 1.75 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। वर्ष 2011 में अपराध के कुल 53 हजार 353 मामले दर्ज किये गये जबकि 2012 में इनकी संख्या बढ़कर 54 हजार 287 हो गयी। गत 29 दिसंबर को अंतिम सांस लेने वाली ‘बहादुर लड़की’ के सम्मान में कुछ क्षण का मौन रखने के बाद दिल्ली पुलिस के आयुक्त नीरज कुमार ने इस घटना के बाद किए गए महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में जानकारी दी।
आयुक्त ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि पहले ऐसी घटनाएं नहीं हुई हों। आप सभी ने 1978 में रंगा बिल्ला के बारे में सुना होगा, फिर धौलाकुआं सामूहिक बलात्कार मामला (2010) और ऐसी कई बड़ी घटनाएं हुईं। यह दिल्ली पुलिस के इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ है।’ दिल्ली पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘यह केवल इस बल के लिए ही बदलाव लाने वाली घटना नहीं है। इसने पूरे भारत तो नहीं लेकिन भारत की अपराध न्याय प्रणाली में बदलाव ला दिया। यह घटना इतनी जबरदस्त, क्षमतावान और पहल करने वाली साबित हुई कि इसने पुलिस, अभियोजन, अदालत और चिकित्सा दलों द्वारा महिलाओं के खिलाफ अपराध से निपटने के तरीकों में प्रमुख बदलाव ला दिए।’
प्रसिद्ध अंग्रेजी नाटककार विलियम्स शेक्सपीयर के जूलियस सीजर को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि समाज इस तरह की घटनाओं की उद्दंडता से हिल गया है और उठाए जाने वाले कदमों को सही दिशा की ओर बढ़ाया जाना चाहिए। कुमार ने कहा कि पुलिस ने जो उपाय किए हैं, उनमें पुलिस थानों में हर समय चलने वाले महिला सहायता डेस्क की स्थापना, पुलिस हेल्पलाइन ‘100’ की लाइनों की संख्या 60 से बढ़ाकर 100 करने, महिलाओं से संबंधित मामलों को थानों के क्षेत्रों पर विचार किये बिना राजधानी में कहीं भी दर्ज किये जाने के उपाय शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘महिलाओं को शिकायत लिखवाने के लिए प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। उनकी शिकायत हू-ब-हू लिखी जायेगी तथा उसकी एक प्रति भी मुहैया करायी जायेगी। शिकायत लिखवाने के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया जाएगा। महिलाओं से छेड़छाड़ को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’ कुमार ने कहा कि सारे जिला प्रमुख मध्य रात्रि तक गश्त करते रहेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थानीय पुलिस और पीसीआर वैन सड़कों की सुरक्षा करने के लिए समुचित ढंग से तैनात हो। उन्होंने कहा, ‘बैरीकेट्स पर स्थानीय पुलिस, पीसीआर और परिवहन पुलिस तैनात होगी।’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने के बारे में सोचा था, दिल्ली पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘कभी नहीं। बिल्कुल नहीं। क्योंकि मेरा काम बल का नेतृत्व करना है। मेरा काम बल का मनोबल ऊंचा रखना है। मैं कह चुका हूं कि मैं छोड़कर जाने वाला नहीं हूं। मैं तब तक बल का नेतृत्व करता रहूंगा जब तक सरकार का मुझ पर विश्वास है।’ आयुक्त सहित वरिष्ठ अधिकारियों को सामूहिक बलात्कार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए दंडित किए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति उषा मेहरा के नेतृत्व वाला न्यायिक आयोग ऐसे मामलों पर विचार करेगा।
उन्होंने वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी के साथ बहस में पड़ने से इंकार करते हुए मजाकिया ढंग से कहा, ‘संभवत: वह ठीक हों (जेठमलानी ने कुमार को कुख्यात अपराधी बताया था।)’ कुमार ने इस बात को गलत बताया कि वीआईपी ड्यूटी के कारण कानून एवं व्यवस्था कायम रखने में अड़चन आ रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह की ड्यूटी एक अलग शाखा द्वारा की जाती है जिसके लिए कर्मियों को अलग से आवंटित किया जाता है।
उन्होंने कहा कि हमारे सुरक्षा प्रकोष्ठ में 7000 कर्मी हैं इनमें से निजी सुरक्षा में केवल दो हजार कर्मियों को लगाया गया है। अन्य पांच हजार कर्मी उच्चतम न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय तथा अन्य प्रमुख प्रतिष्ठानों पर तैनात हैं। गैंगरेप पीड़िता के मित्र द्वारा पुलिस की प्रतिक्रिया में खामियां होने का दावा किये जाने के बारे में ध्यान दिलाने पर कुमार ने कहा कि उसका मित्र हमारा गवाह है। ‘वह अदालत में जो कहेगा, उसका मतलब होगा’ न कि मीडिया में कही गयी उसकी बात का। (एजेंसी)
First Published: Friday, January 18, 2013, 21:02