Last Updated: Monday, January 21, 2013, 19:00

नई दिल्ली : दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले की सुनवाई की कार्यवाही फास्ट ट्रैक अदालत में बंद कमरे में होगी। फास्ट ट्रैक अदालत ने सोमवार को इसके साथ ही पांचों आरोपियों के खिलाफ 24 जनवरी से आरेाप तय करने पर जिरह सुनने का फैसला भी किया। मजिस्ट्रेट के पिछले आदेश को सही ठहराते हुए विशेष फास्ट ट्रैक अदालत के न्यायाधीश ने कहा कि जो लोग मामले से संबंधित हैं, केवल वही अदालत कक्ष में मौजूद रहेंगे। बाकी लोगों को तत्काल अदालत को खाली कर देना चाहिए।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने 24 जनवरी को पांचों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए होने वाली बहस को बंद कमरे में संचालित करने का फैसला भी किया । मजिस्ट्रेटी अदालत ने इस मामले में प्रक्रियागत औपचारिकताएं पूरी करने के बाद न्यायिक रिकार्ड को सत्र अदालत को भेज दिया है। मामले की सार्वजनिक सुनवाई को प्रतिबंधित करने वाले एक कानूनी प्रावधान को लागू करते हुए विशेष न्यायाधीश ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 327 (2) के तहत कार्यवाही बंद कमरे में हेागी और धारा 327 (3) किसी भी कार्यवाही का प्रकाशन और मुद्रण करने से रोकती है। उन्होंने कहा कि मैं मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किए गए आदेश को सही ठहराता हूं।
देश के प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने इस संबंध में दिल्ली सरकार के एक फैसले के बाद इस महीने के शुरूआत में ही साकेत जिला अदालत में फास्ट ट्रैक अदालत का उद्घाटन किया था । इससे पूर्व , मेट्रोपोलिटन मस्ट्रिेट ने दिल्ली पुलिस के एक आवेदन को मंजूर लिया था जिसमें बंद कमरे में कार्यवाही संचालित किए जाने की अपील की गई थी क्योंकि आरोपियों को अदालत कक्ष में लाए जाने के दौरान वहां अराजकता फैल गई थी। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत हत्या, सामूहिक बलात्कार और सबूतों को नष्ट करने के आरोप लगाए गए हैं।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 की रात को दिल्ली में चलती बस में एक 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा को नृशंस तरीके से यौन हमले का शिकार बनाया गया था। इसके बाद उसे और उसके पुरुष मित्र को दक्षिणी दिल्ली के इलाके में सड़क पर फेंक दिया गया था। उसके पुरूष मित्र पर भी हमला किया गया था। इस मामले के आरोपियों में एक किशोर अपराधी भी है। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 21, 2013, 19:00