Last Updated: Wednesday, January 9, 2013, 21:06
ज़ी न्यूज़ ब्यूरोनई दिल्ली : दिल्ली गैंगरेप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए पुलिस आयुक्त (सीपी) और पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को निलंबित नहीं करने का कारण बताने को कहा। ज्ञात हो कि बीते 16 दिसंबर की रात चलती बस में एक युवती के साथ छह लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया और विरोध करने पर गंभीर शारीरिक यातना दी। घायल युवती की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई।
अदालत ने यह टिप्पणी मामले पर पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद की। अधिवक्ता के माध्यम से पेश स्टेटस रिपोर्ट में घटना के समय पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) में तैनात अधिकारियों का नाम मुहैया कराने में विफल रहने और यह बताने के बाद कि संबंधित इलाके के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) को निलंबित कर दिया गया है, कोर्ट ने पुलिस को आड़े हाथों लिया।
मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन और न्यायाधीश वी.के. जैन की खंडपीठ ने स्थिति रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, 'हमने आपको (पुलिस को) तीन पीसीआर में तैनात पुलिस अधिकारियों के नाम बताने का निर्देश दिया था। आज भी हम संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि जवाबदेह अधिकारियों के नाम सामने नहीं आए हैं।'
पुलिस के वकील दयान कृष्णन के यह बताने पर कि पीसीआर कमांड के एसीपी को निलंबित कर दिया गया है, अदालत ने सवाल किया, 'क्या केवल वे ही जवाबदेह हैं? डीसीपी और सीपी क्यों नहीं निलंबित किए गए?'
अदालत ने रंगीन शीशे के साथ चल रहे वाहनों पर कार्रवाई करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं करने के लिए भी पुलिस की खिंचाई की। इसके जवाब में जब कोर्ट को यह बताया गया कि यातायात शाखा के एसीपी को निलंबित कर दिया गया है तो कोर्ट ने फिर सवाल किया, 'यातायात के संयुक्त आयुक्त को क्यों नहीं निलंबित किया गया?' अदालत गुरुवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी।
उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर की रात गैंगरेप को अंजाम दिया गया, जिसके खिलाफ देशव्यापी गुस्सा फूटा। जनता की मांग है कि कसूरवारों को फांसी की सजा दी जाए, जबकि दिल्ली की मुख्यमंत्री ने इस मामले को सही तरह से नहीं निपटने के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर के इस्तीफे की मांग की थी।
First Published: Wednesday, January 9, 2013, 19:55