Last Updated: Friday, July 20, 2012, 15:39

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने आज वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी की खून की जांच संबंधी डीएनए रिपोर्ट गोपनीय रखने और उनके खिलाफ दाखिल पितृत्व मामले की सुनवाई बंद कमरे में कराने का उनका अनुरोध ठुकरा दिया।
न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल ने नारायण दत्त तिवारी की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि गोपनीयता बरतने संबंधी सुप्रीम कोर्ट का 24 मई का आदेश डीएनए जांच के लिए खून का नमूना लेने और हाईकोर्ट को रिपोर्ट देने के मकसद से था। न्यायमूर्ति खेत्रपाल ने कहा, ‘आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का गलत मतलब नहीं निकाल सकते। डीएनए जांच के लिहाज से रक्त का नमूना लेने के उद्देश्य से यह आदेश था।’ उन्होंने डीएनए रिपोर्ट खोलने के लिए 27 जुलाई की तारीख तय की।
87 वर्षीय तिवारी ने अपने आवेदन में दावा किया था कि शीर्ष अदालत के आदेश में पितृत्व मामले की सुनवाई पूरी होने तक डीएनए रिपोर्ट गोपनीय रखने के लिए कहा गया था।
तिवारी ने अपने आवेदन में कहा था, ‘सभी संबंधित पक्षों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जाए। डीएनए रिपोर्ट पूरी तरह सीलबंद होनी चाहिए और पूरा मुकदमा होने तक या मुकदमे में उचित स्तर तक गोपनीयता बरकरार रखी जाए।’
तिवारी ने 29 मई को डीएनए जांच के लिए खून का नमूना अपने देहरादून स्थित आवास पर दिया था। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद नमूना देना पड़ा था। (एजेंसी)
First Published: Friday, July 20, 2012, 15:39