Last Updated: Monday, January 28, 2013, 21:25

नई दिल्ली : राजधानी में 16 दिसंबर को 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा से बलात्कार एवं उसकी हत्या करने के मामले में शामिल छठे आरोपी को किशोर न्याय बोर्ड ने सोमवार को अल्पवयस्क घोषित करार दिया। इसका अर्थ यह हुआ कि वह इस साल चार जून को 18 साल की आयु पूरी होने पर रिहा हो जाएगा।
दिल्ली पुलिस ने अपने आरोपपत्र में छठे आरोपी को सबसे नृशंस बताया है। किशोर न्याय बोर्ड ने उसके समक्ष पेश आरोपी के जन्म प्रमाणपत्र एवं स्कूली दस्तावेजों के आधार पर उसे 17 साल छह माह और 24 दिन (आज तक) का घोषित किया।
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) कानून की धारा 15 जी में कहा गया है कि 16 से 18 वर्ष की आयु वाले किसी किशोर को यदि किसी आरोप में दोषी ठहराया जाता है तो उसे अधिकतम तीन साल की अवधि के लिए विशेष गृह में भेजा जा सकता है। इसके बाद उसे प्रोबेशन पर छोड़ना होगा।
बहरहाल इस कानून की धारा 16 के तहत कहा गया है कि किशोर को विशेष गृह में तभी तक रखा जा सकता है जब तक कि उसकी उम्र 18 साल नहीं हो जाती। इसके बाद उसे जेल नहीं भेजा जा सकता। व्यावहारिक तौर पर इसका अर्थ हुआ कि उसे रिहा करना होगा।
किशोर न्याय बोर्ड ने छठे आरोपी की उम्र निर्धारित करने के लिए उसकी हड्डियों की जांच कराने के अनुरोध को खारिज कर दिया।
अभियोजन की ओर से पेश होते हुए वकीलों ने कहा कि वे बोर्ड के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में जाएंगे।
इससे पूर्व 15 जनवरी को किशोर के स्कूल के प्रधानाध्यापक ने बोर्ड के समक्ष कहा था कि स्कूली दस्तावेजों के अनुसार उसकी आयु 17 साल छह माह है। छठे आरोपी ने स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़ दी थी।
उत्तर प्रदेश में बदायूं के भवानीपुर स्कूल के पूर्व एवं मौजूदा प्रधानाध्यापक ने बोर्ड के समक्ष पेश होकर कहा कि वह लड़के की पहचान नहीं कर सकते लेकिन वे यह जानते हैं कि लड़के ने 2002 में स्कूल में दाखिला लिया था। इस स्कूल में किशोर ने कक्षा तीन तक पढ़ाई की थी। पूर्व प्रधानध्यापक ने कहा कि दाखिले के समय लड़के का पिता आया था। उसने बच्चे की जन्मतिथि चार जून 1995 बतायी थी।
पांच अन्य आरोपियों-राम सिंह, उसका भाई मुकेश तथा उसके सहयोगी पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत हत्या, बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक अपराध, डकैती, लूट के समय घायल करना, साक्ष्यों को मिटाने, आपराधिक षड्यंत्र तथा साझा मकसद के आरोप लगाए गए हैं।
आरोपी किशोर मानसिक रूप से अक्षम पिता का सबसे बड़ा पुत्र है। उसकी मां ने बदायूं में एक छोटी सी बस्ती में रहकर और खेती का काम करके उसे दो भाइयों एव दो बहनों का पालन पोषण किया है।
जांचकर्ताओं ने कहा कि पांच छह साल पहले वह अपने घर से भागकर दिल्ली आ गया और छोटे-छोटे काम करने लगा। इसके बाद वह राम सिंह से मिला जो बस में चालक था।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि उस दुर्भाग्यपूर्ण रात को सभी आरोपियों ने पार्टी की और उसके बाद वह मौज मस्ती के लिए बस पर निकले। उनका मकसद ‘किसी ऐसी लड़की की तलाश थी जिसके साथ वे यौन मौज मस्ती कर सकें।’
सूत्रों के अनुसार उन्होंने पहले रामाधार सिंह को लूटा, जिसे उन्होंने आर के पुरम सेक्टर चार से उठाया था और उसे आईआईटी गेट के समीप पटक दिया। इसके बाद उन्होंने मुनीरका से सामूहिक बलात्कार की पीड़िता और उसके पुरूष मित्र को उठाया। बाद में हादसे को अंजाम देने के बाद उन्होंने दोनों को सड़क पर यह मानकर फेंक दिया कि वे मर गए हैं। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 28, 2013, 16:26