दिल्‍ली गैंगरेप: पुलिसिया दखल के आरोपों की जांच के आदेश

दिल्‍ली गैंगरेप: पुलिसिया दखल के आरोपों की जांच के आदेश

दिल्‍ली गैंगरेप: पुलिसिया दखल के आरोपों की जांच के आदेश ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो/एजेंसी

नई दिल्‍ली : राजधानी दिल्‍ली में बीते सप्‍ताह हुए दिल्‍ली गैंगरेप की पीडि़त युवती का बयान रिकार्ड करने के दौरान दिल्‍ली पुलिस के अधिकारियों की दखलंदाजी के आरोपों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बुधवार को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। गौर हो कि इस मामले में दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित ने गूह मंत्रालय को पत्र लिखकर शिकायत की थी और इस मामले की जांच करवाने की मांग की थी। इसी के मद्देनजर गृह मंत्रालय की ओर से इस केस में दिल्‍ली पुलिस के दखल देने के आरोपों की जांच के आदेश को जारी किया गया।

उधर, शीला दीक्षित ने आज कैबिनेट की अहम बैठक बुलाई। इस बैठक में एसडीएम ऊषा चतुर्वेदी भी शामिल हुईं। ऊषा चतुर्वेदी ने ही गैंगरेप पीडि़त युवती का बयान दर्ज किया था।

गौर हो कि दिल्ली में सामूहिक बलात्कार पर आरोप-प्रत्यारोप के दौर के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और दिल्ली पुलिस के बीच टकराव शुरू हो गया। जहां शीला ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को लिखे पत्र में बलात्कार पीड़िता के बयान रिकार्ड कराने में पुलिस के आला अफसरान पर ‘दखलंदाजी’के आरोप लगाए, वहीं दिल्ली पुलिस ने गृहमंत्री को लिखे शीला के पत्र के ‘लीक किए जाने` की जांच की मांग की। दिल्ली पुलिस को केन्द्रीय गृह मंत्रालय से राज्य सरकार के दायरे में लाए जाने की जोरदार मांग कर रही शीला ने शिंदे को लिखे एक पत्र में उपमंडलीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की शिकायत की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है।

दिल्ली पुलिस ने बलात्कार पीड़िता के बयान दर्ज करने में वरिष्ठ अधिकारियों की दखलंदाजी का मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने आरोप लगाया था। वहीं, दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया था। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को लिखे पत्र में बलात्कार पीड़िता के बयान रिकार्ड कराने में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों पर ‘दखलंदाजी’ के आरोप लगाए और इस संबंध में उन्हें लिखे उपायुक्त (पूर्वी) बीएम मिश्रा के पत्र का हवाला दिया जिसमें उप मंडल आयुक्त उषा चतुर्वेदी ने पीड़िता का बयान दर्ज करने के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का हस्तक्षेप करने की शिकायत की थी।

इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने कहा कि पुलिस ने कभी भी एसडीएम को प्रश्नों की सूची से पूछने को विवश नहीं किया। एसडीएम ने शिकायत की थी कि पुलिस ने उन्हें उन प्रश्नों की सूची से पूछने को कहा, जिसे उन्होंने (पुलिस) तैयार किया था। कुमार ने कहा कि पुलिस ने ही जोर दिया था कि लड़की का बयान दर्ज किया जाए क्योंकि दिन प्रतिदिन उसकी हालत खराब होती जा रही है। चतुर्वेदी को मंडल आयुक्त का दायित्व सौंपा गया था। उन्होंने कहा कि अगर एसडीएम को किसी भी समय पुलिस का दबाव महसूस हुआ तो वह बयान दर्ज करने से मना कर सकती थीं।

जैसे ही शीला दीक्षित ने गृह मंत्री से शिकायत की पुलिस ने तत्काल एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष पीड़िता का बयान दर्ज कराने की मांग की जिसका कानूनी रूप से अधिक महत्व है। पीड़ित युवती के बयान दर्ज करने को लेकर उठे विवाद के बाद आज मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ने उसका ताजा बयान दर्ज किया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ने लड़की का ताजा बयान दर्ज किया।

First Published: Wednesday, December 26, 2012, 11:33

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