देवास की शुरू से जांच की सिफारिश - Zee News हिंदी

देवास की शुरू से जांच की सिफारिश




बेंगलूर : प्रत्यूष सिन्हा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय टीम ने न न सिर्फ इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर और तीन अन्य अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को दोषी ठहराया है बल्कि शुरूआत से ही देवास के कामकाज और परिचालन की जांच किए जाने की सिफारिश की है।

 

पांच सदस्यीय टीम के निष्कर्षों और सुझावों के अनुसार देवास की स्थापना फोर्ज एडवाइजर्स-यूएसए द्वारा दिसंबर 2004 में एक लाख रुपए की शेयर पूंजी और दो शेयरधारकों के साथ की गयी थी। शेयरधारकों में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक वेणुगोपाल डी (नौ हजार शेयर) और उमेश एम (एक हजार शेयर) शामिल थे।

 

एंट्रिक्स के साथ समझौता जनवरी 2005 में हुआ और उस साल के अंत तक साधारण शेयर पूंजी बढ़कर पांच लाख रुपए हो गयी और शेयरधारकों की संख्या 12 हो गयी। इनमें शेयरधारकों में फोर्ज एडवाइजर्स के तीन सदस्य और मारिशस स्थित दो कंपनियां कोलंबिया कैपिटन देवास लि. तथा टेलीकॉम देवास लि. शामिल थीं।
मार्च 2010 के अंत तक देवास के शेयरधारकों की संख्या बढ़कर 17 हो गयी। समिति ने नायर और तीन वरिष्ठ वैज्ञानिकों ए भास्करनारायण, के आर श्रीधर मूर्ति और केएन शंकर को एंट्रिक्स देवास सौदे में दोषी ठहराया है।

 

सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि एंट्रिक्स देवास सौदे में पारदर्शिता का अभाव है और उसने वैज्ञानिकों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। सभी वैज्ञानिक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। समिति ने कहा कि देवास में शेयर आवंटन करने के लिए विदेशी निवेशकों ने 2007.08 में 25,505 रुपए प्रति शेयर की दर से प्रीमियम का भुगतान किया जो 2009.10 में बढ़कर 1,26,821 रुपए हो गया। इस प्रकार देवास ने शेयर प्रीमियम के रूप में 578 करोड़ रुपए एकत्र किए।

 

वर्ष 2007.08 में वेणुगोपाल और एफए-यूएसए की टीम ने अपनी मूल हिस्सेदारी मारिशस स्थित कंपनियों को बेच दी और 25505 रुपए प्रति शेयर की दर से उन्हें दो करोड़ रुपए से 7.4 करोड़ रुपए के बीच मुनाफा हुआ।  (एजेंसी)

First Published: Sunday, February 5, 2012, 20:40

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