Last Updated: Tuesday, February 7, 2012, 10:39
बेंगलूर: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने मंगलवार को संगठन के मौजूदा अध्यक्ष के. राधाकृष्णन पर फिर हमला बोला। नायर ने राधाकृष्णन के इस दावे को एक और झूठ करार दिया कि एंट्रिक्स देवास सौदे में जो भी आरोप और खामियां थी उसकी पूरी जांच कराई गई। अंतरिक्ष विभाग में सचिव के. राधाकृष्णन ने कल कहा कि मामले की जांच कराई गई है।
इस संबंध में उन्होंने पूवी सीवीसी चेयरमैन प्रत्युष सिन्हा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय टीम के नायर और सात अन्य अधिकारियों को भेजे गये विस्तृत पत्र का जिक्र किया जिसमें तमाम आरोपों, खामियों और विसंगतियों के बारे में बताया गया है। उच्चस्तरीय टीम की रिपोर्ट आने के बाद नायर और तीन अन्य वैज्ञानिकों पर कोई भी सरकारी पद लेने से रोक लगा दी गई। सरकार के इस कदम से उत्तेजित नायर ने राधाकृष्णन के खिलाफ शाब्दिक हमला जारी रखते हुये आज कहा कि यह एक और झूठ है। केवल एक पत्र की बात की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इस पत्र में अंतरिक्ष विभाग की नजरों में देवास के पूरे इतिहास का ब्याख्यान किया गया है और उसके आखिर में उनसे सौदे पर हस्ताक्षर होने से लेकर उसके पूरा होने तक मामले में उनकी संलिप्तता के बारे में पूछा गया है और स्पष्टीकरण मांगा गया है। नायर का कहना है कि कोई भी जांच होती है तो उसमें एक आरोपपत्र तैयार किया जाता है और संबंधित व्यक्ति से उस पर जवाब मांगा जाता है। ऐसा कुछ नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि कोई भी जांच समिति जिन लोगों को दोषी पाती है उन्हें नोटिस भेजती है और फिर उनके जवाब पर विचार विमर्श करती है। इन सभी कदमों को नजरंदाज किया गया।
नायर ने कहा कि देवास समझौते को समाप्त करने से लेकर अब तक यही प्रक्रिया अपनाई गई है, जो कि आधे अधूरे सच पर आधारित है और यह सब सरकार को भ्रमित करने के लिए किया गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी की हाल में की गई टिप्पणी कि एंट्रिक्स देवा सौदे को राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर निरस्त किया गया, इसमें स्पेक्ट्रम बिक्री से नुकसान का कोई मामला नहीं है। नायर ने कहा कि फिर मामले में लोगों संदिग्धों को ढूढंने की जरुरत क्यों पड़ी। वह (नारायणसामी) खुद ही अपनी बात का खंडन कर रहे हैं।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 7, 2012, 22:09