देश की अर्थव्यवस्था मजबूत, पर कड़े कदम उठाने होंगे : प्रधानमंत्री

देश की अर्थव्यवस्था मजबूत, पर कड़े कदम उठाने होंगे : प्रधानमंत्री

देश की अर्थव्यवस्था मजबूत, पर कड़े कदम उठाने होंगे : प्रधानमंत्रीज़ी न्यूज़ ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री ने पिछले दो दिनों में आर्थिक नीतियों में सुधार संबंधी बड़े फैसले करने के बाद शनिवार को कहा, ‘नीतिगत अवरोधों को तोड़ने के लिए साहस और थोड़ा जोखिम उठाने की जरूरत है।’ प्रधानमंत्री ने दो टूक कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है लेकिन ताजा हालातों को देखते हुए कड़े कदम उठाने होंगे। यदि समय रहते हम ऐसा नहीं कर पाए तो देश को बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) को बढ़ाए जाने का समर्थन किया। डीजल की कीमत बढ़ाने के फैसले को सही दिशा में महत्वपूर्ण कदम करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘ईंधन का तर्कसंगत मूल्यांकन महत्वपूर्ण है और हमारे यहां ईंधन की कीमत वैश्विक मूल्य से मेल नहीं खाती है।’

प्रधानमंत्री ने देश की 12वीं पंचवर्षीय (2012-17) योजना को अंतिम रूप देने के लिए बुलाई गई पूर्ण योजना आयोग की बैठक में कहा, `यह साहसपूर्ण और कुछ जोखिम भरा होगा, लेकिन इसे सफल बनाने की हमारी कोशिश होनी चाहिए। देश इससे कम का हकदार नहीं है।` मनमोहन ने कहा, `नई पंचवर्षीय आर्थिक योजना में लक्षित 8.2 प्रतिशत विकास दर का लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें अर्थव्यवस्था में निवेश लाने की जरूरत है। जबकि निवेश का वातावरण नाजुक बना हुआ है।`

सिंह ने देश के राजकोषीय सेहत को बहाल करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, `मैं मानता हूं कि हम जरूरी निवेश आकर्षित कर सकते हैं, क्योंकि हमारे राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रूप में और विकास की रफ्तार को बढ़ता हुआ माना जा रहा है।`

प्रधानमंत्री के अनुसार, गुरुवार को डीजल की कीमत में हुई वृद्धि सही दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, `हमारा राजकोषीय घाटा बहुत अधिक है और विश्लेषक इस पर विपरीत टिप्पणियां कर रहे हैं। अर्थव्यवस्था में उत्पादक व्यवस्थापन के लिए घरेलू संसाधनों को मध्यकाल के दौरान जारी कर इसे हर हाल में नीचे लाना होगा।` प्रधानमंत्री ने 12वीं योजना में प्रस्तावित निर्यात में गिरावट और जीडीपी का 2.9 प्रतिशत चालू खाता घाटे का जिक्र किया। उन्होंने कहा, `इसे मुख्य रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी संस्थानिक निवेश प्रवाहों के जरिए फाइनेंस किया जाना चाहिए, ताकि बाहरी कर्ज पर निर्भरता नियंत्रित की जा सके।`

प्रधानमंत्री ने अधोसंरचना परियोजनाओं में तेजी लाने का आह्वान किया, जो आपूर्ति के रोड़ों को हटाने के लिए महत्वपूर्ण है। मनमोहन ने कहा, `हमें अधोसंरचना में लगभग 10 खरब डॉलर के निवेश की जरूरत है और हमें यह हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम करना है। मैं प्रथम छह महीने की समाप्ति पर अधोसंरचना मंत्रालयों के प्रदर्शन की लक्ष्य की तुलना में निजीतौर पर समीक्षा करूंगा।`

प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि कृषि में विकास दर बढ़ाकर चार प्रतिशत करने की जरूरत है। मनमोहन ने कहा, `हमारा उद्देश्य सिर्फ जीडीपी का विकास करना नहीं, बल्कि ऐसा विकास करना है, जो समग्र व स्थिर हो।`

First Published: Saturday, September 15, 2012, 23:56

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