देश की मदद भगवान ही करें : सर्वोच्च न्यायालय

देश की मदद भगवान ही करें : सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने देश में विभिन्न न्यायाधिकरणों को समुचित आवास सुविधा उपलब्ध कराने के प्रति सरकार के उदासीन रवैये पर सोमवार को तल्ख लहजे में टिप्पणी करते हुए कहा, ‘देश की मदद भगवान ही करे।’

न्यायमूर्ति आर.एम. लोढा और न्यायमूर्ति एच.एल. गोखले की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के रवैये पर चिंता व्यक्त करते हुए शहरी विकास मंत्रालय के सचिव से जवाब तलब किया है।

न्यायालय जानना चाहता है कि राजधानी में टाईप-7 और टाइप-8 के कितने बंगले खाली हैं। न्यायालय ने सरकार के रवैये पर तल्ख टिप्पणियां करते हुए इस मामले की सुनवाई 30 अक्तूबर के लिए स्थगित कर दी।

न्यायाधीशों ने एक साल पहले गठित महादयी जल विवाद न्यायाधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों को सरकारी आवास उपलब्ध कराने में प्राधिकारियों की विफलता पर नाराजगी व्यक्त की।

न्यायाधीशों ने कहा, आप गहरी निद्रा में चल जाते हैं और फिर चाहते हैं कि न्यायालय आपको जगाए। आप हमें ऐसा करने के लिए क्यों बाध्य करते हैं जो हम नहीं कर रहे हैं? ईश्वर आपकी और देश की मदद करे।

कर्नाटक और गोवा के बीच जल विवाद के निबटारे के लिए नवंबर 2010 में इस न्यायाधिकरण का गठन हुआ था।

अतिरिक्त सालिसीटर जनरल हरिन रावल ने अप्रैल 2012 के एक शासकीय परिपत्र का हवाला देते हुए कहा कि न्यायाधिकरण के सदस्य सामान्य पूल के तहत सरकारी आवास के हकदार नहीं है। लेकिन न्यायालय उनके इस तर्क से संतुष्ट नहीं हुआ।

न्यायाधीशों ने कहा, नियमों के अनुसार वे आवास पाने के हकदार हैं। आप उन्हें देने से इंकार नहीं कर सकते हैं जब आवास उपलब्ध हैं। क्या आप चाहते हैं कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश दिल्ली की सड़कों पर घूमें? यदि आप नहीं चाहते हैं कि न्यायाधिकरण काम करें तो इनके लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान करने वाला कानून समाप्त कर दें। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, October 2, 2012, 00:32

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