Last Updated: Friday, August 3, 2012, 21:15
नई दिल्ली: दवा के परीक्षण के दौरान देश में हर दो दिन में तीन लोगों की मौत हो रही है लेकिन लचर कानून का फायदा उठाते हुए जिन दवाओं को अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय देशों में प्रतिबंधित किया गया है, उन दवाओं को भारत में खुले आम बेचा और मरीजों को सुझाया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार कि दवा के साइड इफेक्ट के कारण जिन दवाओं पर अमेरिका, यूरोप और अधिकांश विकसित देशों में प्रतिबंधित लगाया गया है, उन्हें खुले तौर पर भारत में बेचा जा रहा है और इनमें से कोई दवा की भारत की विशिष्ट चिकित्सा जरूरतों के अनुरूप नहीं है।
इन दवाओं में बूक्लिजीन, निमेसूलाइड इंजेक्शन, डोस्कोफाइलीन, एफसीडी आफ निमेसूलाइड विद लेवोस्रिटीजीन, एफडीसी आफ प्रेगाबलीन, एफडीसी आफ टोलपेरीजोन विद पारासिटामोल, एफडीसी आफ इटोडोलाक, एफडीसी आफ एसीक्लोमेनॉक विद थिओकोचिकोसाइड, एफडीसी आफ ओफ्लोक्सासीन विद आरनिडाजोल,, एम्ब्रोक्सोल आदि प्रमुख है।
समिति ने कहा कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि दवा बनाने वाली कंपनियों, कुछ चिकित्सकों और नियामक संगठनों के कुछ अधिकारियों के बीच सांठगांठ है। इसी के कारण कई दवाओं को बिना जांचे परखे मंजूरी भी दी जा रही है। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 3, 2012, 21:15