Last Updated: Sunday, April 22, 2012, 13:00
नई दिल्ली : अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) ‘अग्नि-पांच’ के कामयाब परीक्षण के बाद भारत अब फिर से इस्तेमाल किया जा सकने योग्य ऐसे रॉकेट के विकास की तैयारी में है जिसमें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल दोनों की प्रौद्योगिकी का मेल होगा।
रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख वी के सारस्वत ने दूरदर्शन को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि फिर से इस्तेमाल किए जा सकने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित करने की योजना के हिस्से के तौर पर डीआरडीओ अगले साल अपने ही देश में विकसित स्क्रैम जेट इंजन का परीक्षण करेगा।
उन्होंने कहा, हमारे पास प्रोपलशन प्रौद्योगिकी है, हमारी ‘री-एंट्री’ प्रौद्योगिकी है, हमारे पास ऐसी प्रौद्योगिकी है जो ‘री-एंट्री’ प्रणाली को अपना सकती है और इससे पेलोड डिलिवर हो सकेगा, और हमारे पास ऐसी ‘री-एंट्री’ प्रणाली भी है जिससे मिसाइल वापस आ सकेगी।
सारस्वत ने कहा, हमने एक स्क्रैम जेट इंजन के कामकाज का प्रदर्शन किया है जो मैक छह गति से संचालित हुआ। यह ध्वनि की गति से छह गुना ज्यादा है। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 23, 2012, 10:35