Last Updated: Wednesday, October 2, 2013, 00:33
नई दिल्ली : गैर सरकारी संगठन `वाचडॉग एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स` (एडीआर) ने मंगलवार को कहा कि चूंकि वर्तमान संसद के 72 सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, इसलिए यदि इन सासंदों को दो वर्ष से अधिक की सजा के दोषी करार दिए जाते हैं तो उन्हें संसद सदस्यता से अयोग्य करार दिया जा सकता है।
गैर सरकारी संगठन द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, आपराधिक मामलों का सामना कर रहे इन सांसदों में भारतीय जनता पार्टी (भजपा) के 18 सांसद, कांग्रेस के 14 सांसद, समाजवादी पार्टी के आठ सांसद, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छह सांसद, एआईएडीएमके के चार सांसद, जनता दल-युनाइटेड के तीन सांसद और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दो सांसद शामिल हैं। आपराधिक मामलों में आरोपी शेष 17 सांसद अन्य छोटे दलों से हैं।
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रशीद मसूद को एमबीबीएस भर्ती घोटाले में दोषी करार दिए जाने और एक दिन पहले रांची की एक निचली अदालत द्वारा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद को चारा घोटोल में दोषी करार दिए जाने के बाद आपराधिक मामलों में आरोपी सांसद फिर से देश की निगाहों में आ गए हैं। राजनीति में पारदर्शिता लाने के लिए कार्यरत गैर सरकारी संगठन ने कहा कि अपराध के आरोपी सांसदों को सजा सुनाए जाने की दर धीमी होने का प्रमुख कारण अदालत में मामलों की सुनवाई की बेहद धीमी प्रक्रिया है।
एडीआर ने बताया कि लोकसभा चुनाव-2009 और 2008 के बाद से हुए विधानसभा चुनावों में चुने गए 4,807 संसद सदस्यों के विश्लेषणों के आधार पर 30 प्रतिशत सदस्य (1,460) आपराधिक मामलों में आरोपी पाए गए। इनमें से 688 संसद सदस्यों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 2, 2013, 00:33