Last Updated: Friday, January 25, 2013, 21:20

नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को पाकिस्तान से स्पष्ट कहा कि भारत उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने को तैयार है लेकिन इसे हल्के ढंग से नहीं लिया जाना चाहिए।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि हाल के दिनों में नियंत्रण रेखा पर भारतीय सैनिकों के साथ घोर अत्याचार किया गया। उनका इशारा पाकिस्तानी सेना द्वारा एक भारतीय सैनिक का सिर धड़ से अलग करने की ओर था। उन्होंने कहा कि भारतीय सीमा पर शांति चाहता है और वह दोस्ती की उम्मीद में हाथ बढ़ाने को तैयार है लेकिन इसे हल्के ढंग से नहीं लिया जा सकता।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश का युवा खाली पेट सपने नहीं देख सकता। उसे रोजगार की जरूरत है। उनके पास रोजगार होने चाहिए जो उनकी और राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम हो । लेकिन हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आर्थिक विकास के फायदे उन संपन्न लोगों को ही न मिलें, जो पिरामिड के सबसे ऊपरी सीढ़ी पर बैठे हैं।
उन्होंने कहा कि धन सृजन का प्राथमिक उद्देश्य भूख के राक्षस को समाप्त करना होना चाहिए। इसका उद्देश्य वंचित तबके और हाशिये पर जी रहे लोगों की मदद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को संदेह है कि क्या व्यवस्था योग्यता की कदर करती है और क्या ताकतवर लालच के चलते धर्म भूल गये हैं। क्या हमारी विधायिका उभर रहे भारत को प्रतिबिम्बित करती है या इसमें मौलिक सुधारों की आवश्यकता है।
सामूहिक बलात्कार के परिप्रेक्ष्य में देश की राजधानी दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में युवाओं के विरोध प्रदर्शन की चर्चा करते हुए मुखर्जी ने कहा कि देश एक और पीढ़ीगत बदलाव के सिरे पर है। भारत के युवा गांवों और कस्बों तक फैले हैं और वे बदलाव के मुहाने पर हैं। भविष्य उनका है। वे आजकल अस्तित्व से जुड़े कई संदेहों से परेशान हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, January 25, 2013, 20:36