Last Updated: Thursday, March 21, 2013, 00:07

नई दिल्ली : श्रीलंका मुद्दे पर केन्द्र सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद द्रमुक के पांच मंत्रियों ने केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया जिसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार देर रात स्वीकार कर लिया। मंत्रियों के इस्तीफे को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजने के साथ ही प्रधानमंत्री ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय का प्रभार उसी मंत्रालय के राज्य मंत्री श्रीकांत जेना को सौंप दिया है।
अभी तक रसायन और उर्वरक मंत्रालय का प्रभार द्रमुक के एम. के. अलागिरि के पास था। आज द्रमुक के चार अन्य मंत्रियों डी. नेपोलियन, एस. एस. पलानिमणिकम, एस. गांधीसेलवन और एस. जगत्राक्षकन ने भी इस्तीफा दे दिया। अलागिरि और नेपोलियन ने दोपहर में प्रधानमंत्री के संसद भवन स्थित कार्यालय में उन्हें इस्तीफा सौंपा जबकि अन्य तीनों मंत्रियों एस. एस. पलानिमणिकम, एस. गांधीसेलवन और एस. जगत्राक्षकन ने इसके करीब एक घंटे बाद अपना इस्तीफा दिया।
अटकलें हैं कि द्रमुक प्रमुख एम. करूणानिधि के पुत्र अलागिरि संप्रग से पार्टी के बाहर होने के निर्णय में खुद को शामिल नहीं किए जाने से नाराज हैं। अलागिरि कैबिनेट मंत्री थे जबकि डी. नेपोलियन, एस. एस. पलानिमणिकम, एस. गांधीसेलवन और एस. जगत्राक्षकन राज्य मंत्री थे।
संप्रग के साथ अपने नौ वर्ष के गठबंधन को कल समाप्त करने वाली द्रमुक के लोकसभा में 18 और राज्यसभा में छह सदस्य हैं। पार्टी ने संप्रग को बाहर के समर्थन देने या भाजपा नेतृत्व वाले राजग में शामिल होने की संभावना से इंकार किया है।
द्रमुक संसदीय दल के नेता टी. आर. बालू ने संवाददाताओं से कहा कि ‘करुणानिधि के निर्णय के आधार पर हमने इस्तीफे प्रधानमंत्री को सौंप दिए हैं।’ प्रधानमंत्री को इस्तीफा सौंपने गए मंत्रियों के साथ मौजूद बालू ने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा नेतृत्व वाले राजग में शामिल नहीं होगी। पार्टी ने संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन देने की बात को भी नकार दिया। द्रमुक सत्तारूढ़ गठबंधन संप्रग का दूसरा सबसे बड़ा घटक था। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 21, 2013, 00:07