धर्मनिरपेक्षता का `बुर्का` निर्वस्त्र सांप्रदायिकता से बेहतर: कांग्रेस । Burqa of secularism better than nakedness of communalism: Congress

धर्मनिरपेक्षता का `बुर्का` निर्वस्त्र सांप्रदायिकता से बेहतर: कांग्रेस

धर्मनिरपेक्षता का `बुर्का` निर्वस्त्र सांप्रदायिकता से बेहतर: कांग्रेसज़ी मीडिया ब्‍यूरो/एजेंसी

नई दिल्ली : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि धर्मनिरपेक्षता का `बुर्का` निर्वस्त्र साम्प्रदायिकता से कहीं अधिक बेहतर है। मोदी ने रविवार को पुणे में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस की सरकार का जब भी समस्याओं से सामना होता है, वह धर्मनिरपेक्षता का `बुर्का` ओढ़ लेती है, ताकि उनसे कोई वास्तविक मुद्दों पर सवाल न कर सके। मोदी के इस बुर्के संबंधी बयान के बाद सियासी हंगामा मच गया है।

इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोमवार को कांग्रेस महासचिव व कांग्रेस मीडिया सेल के प्रमुख अजय माकन ने कहा कि धर्मनिरपक्षेता का `बुर्का` निर्वस्त्र साम्प्रदायिकता से कहीं अधिक बेहतर है। साम्प्रदायिकता देश को बांटती है, जबकि धर्मनिरपेक्षता इसे एकजुट रखती है। साथ उन्‍होंने यह भी कहा कि यूपीए और एनडीए सरकार की तुलना एकतरफा नहीं होनी चाहिए।

माकन ने मोदी को खुली चुनौती देते हुए कहा कि गुजरात में कितना विकास हुआ इस बात का जवाब वह (मोदी) दें। कांग्रेस मीडिया सेल के प्रमुख ने कहा कि मोदी को गुजरात के आंकड़े पर जवाब देना चाहिए। उन्‍होंने पलटवार करते हुए कहा कि
एनडीए से ज्‍यादा यूपीए ने शिक्षा पर खर्च बढ़ाया है। कांग्रेस के शासन में देश में आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्‍थानों की संख्‍या बढ़ी है। 2002 में देश में सिर्फ छह आईआईएम थे और अब इनकी संख्‍या 13 है। उन्‍होंने यह भी कहा कि मोदी की बातों का जवाब देना जरूरी है। माकन ने सवालिया लहजे में पूछा कि मोदी सरकार ने 11 साल में खेल के क्षेत्र में क्‍या किया। झारखंड में हुए राष्‍ट्रीय खेल में गुजरात ने जीते सिर्फ सात मेडल जिसमें कोई गोल्‍ड मेडल नहीं है।

उधर, मोदी की ‘धर्मनिरपेक्षता का बुर्का’ वाली टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस ने कहा कि ‘धर्मनिरपेक्षता के लबादे’ में सभी धर्मों’ के लोग समा जाते हैं, जबकि सांप्रदायिकता का बुर्का अलगाववादी है और देश इन दोनों नजरियों के बीच के टकराव को देख रहा है। कांग्रेस नेता और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि लोगों के पास समावेशी भारत या अलगाववादी भारत के दो विकल्प हैं।

उन्होंने संवाददाताओं से यहां कहा कि धर्मनिरपेक्षता का लबादा सर्वव्यापक है। यह हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन, सभी आस्थाओं के लोगों को अपने में समा लेता है। जबकि सांप्रदायिकता का नकाब बेहद अलगाववादी है। उन्हें लगता है कि उन लोगों को, जिन्हें वे अपनी भाषा में ‘कुत्ते का बच्चा’ कहते हैं और आप (मीडिया) जिसे ‘पिल्ले’ के रूप में अनुवाद करते हैं, सांप्रदायिकता के पहिये तले रौंद देना चहिए। इससे पहले मोदी ने कल कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा था कि जब भी उसके सामने कोई संकट आता है, तो वह ‘सांप्रदायिकता का बुर्का’ पहन कर ‘बंकर में छुप जाती’ है। तिवारी ने कहा कि यह ध्रुवीकरण हिंदू बनाम मुस्लिम का नहीं है, या नरसंहार के पीड़ितों और नरसंहार करने वाले को लेकर भी नहीं है। यह सिर्फ भारत के उस मूल विचार को लेकर है कि हम किस प्रकार का भारत देखना चाहते हैं।

First Published: Monday, July 15, 2013, 14:29

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