Last Updated: Thursday, September 20, 2012, 21:48

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि धार्मिक कट्टरता देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है तथा युवाओं द्वारा सोशल नेटवर्किंग साइटों पर इस्तेमाल भाषा साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दे रही है।
दिग्विजय ने ‘फ्रंटलाइन’ पत्रिका के रिलांच समारोह में कहा, ‘यह तथ्य बहुत भयावह है कि एक सैन्य अधिकारी को आतंकवादी मामलों (मालेगांव विस्फोट) में गिरफ्तार किया गया है। मैंने ऐसे कुछ धार्मिक कट्टरपंथियों को हाल के वर्षों में व्यवस्था में घुसपैठ करते हुए देखा है। मेरा मानना है कि यह वर्तमान समय में देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है।’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रवाद के नाम पर धार्मिक कट्टरपंथ की वृद्धि दुर्भाग्य से भारतीय राजनीति की मुख्यधारा में आ रही है।’ उन्होंने कहा कि धार्मिक कट्टरपंथ में वृद्धि हो रही है तथा इसका पता युवाओं की ओर से सोशल नेटवर्किंग साइटों पर इस्तेमाल की जाने वाली भाषा से चलता है।
दिग्विजय ने कहा, ‘सोशल नेटवर्किंग साइटों पर आप उस भाषा को देख सकते हैं जिसका इस्तेमाल युवाओं द्वारा साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।’ दिग्विजय ने बाबरी मस्जिद रामजन्मभूमि विवाद पर कहा, ‘मेरा मानना है कि इस मामले में विश्व हिंदू परिषद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हलफनामे को स्वीकार करना तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव की गलती थी।’ जुलाई 1992 में संघ परिवार ने बाबरी मस्जिद के चारों ओर खुदाई करके और स्थान को कंक्रीट की एक परत से मजबूती प्रदान करके प्रस्तावित राम मंदिर की नींव रख दी थी। कल्याण सिंह जो उस समय भाजपा में थे के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने उसे भजन करने के लिए ‘चबूतरा’ बताया जबकि विहिप ने उसे राम मंदिर के लिए नींव घोषित कर दिया।
6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में कार सेवा प्रस्तावित थी और कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे। बहरहाल कार सेवकों ने उसी दिन मस्जिद गिरा दी। दिग्विजय ने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस में भी मतभेद थे। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस हमेशा ही एक आंदोलन रहा है तथा उसके कैडर में विभिन्न विचारधाराओं के लोग रहे हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 20, 2012, 21:48