Last Updated: Wednesday, July 4, 2012, 00:15

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गोधरा दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए 500 से अधिक धार्मिक स्थलों के लिए मुआवजा अदा करने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के आठ फरवरी के आदेश पर रोक लगाने से इंकार करते हुए दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों का विवरण और इनके पुनर्र्निर्माण पर होने वाले खर्च का विवरण पेश करने का निर्देश नरेन्द्र मोदी सरकार को दिया है।
न्यायालय जानना चाहता है कि दंगों के दौरान धार्मिक स्थलों के क्षतिग्रस्त होने और उनके नुकसान का आकलन करने के लिए क्या राज्य सरकार ने कोई सर्वे कराया है? इस मामले में अब नौ जुलाई को आगे सुनवाई होगी।
गुजरात सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता और वकील हेमंतिका वाही का कहना था कि उच्च न्यायालय का यह आदेश त्रुटिपूर्ण है क्योंकि संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के तहत कोई भी सरकार धार्मिक स्थलों के लिए धन मुहैया नहीं करा सकती है।
उच्च न्यायालय ने आठ फरवरी को 2002 में गोधरा दंगों के बाद बड़ी संख्या में धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त किये जाने के मामले में राज्य सरकार को उसकी ‘निष्क्रियता और लापरवाही’ के लिए आड़े हाथ लिया था। उच्च न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन इस्लामिक रिलीफ कमेटी ऑफ गुजरात की याचिका पर 500 से अधिक धार्मिक स्थलों को मुआवजा देने का आदेश राज्य सरकार को दिया था।
उच्च न्यायालय ने राज्य के 26 जिलों के न्यायाधीशों को आदेश दिया था कि वे अपने यहां धार्मिक स्थलों के लिए मुआवजे की अर्जियां स्वीकार करके उन पर निर्णय करें। इन न्यायाधीशों को छह महीने के भीतर अपने निर्णय से उच्च न्यायालय को अवगत कराना है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 4, 2012, 00:15